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Vani Prakashan

Chhabbis Kahaniyan (Dr. Naresh)

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9789388434423
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कहानी में कल्पना की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन कहानी जितनी स्वानुभूत होगी, उतनी ही पाठक को लीलने में समर्थ होगी। इसके लिए लेखक को अपने निजी दुःखों के साथ-साथ अनेकानेक ओढ़े हुए दुःखों को भी भोगना पड़ता है। दुःख जिसके अन्दर जितना बुला हुआ होगा, उसकी रचना में उतनी अधिक शक्ति करवटें ले रही होगी। दुःख-वीथी की यात्रा सृजनात्मक ऊर्जा की जन्मदात्री होती है। कविता कहीं ऊपर से, ग़लिब के शब्दों में ‘गैब से उतरती है लेकिन कहानी सीता की तरह धरती के सीने में से जन्म लेती है। कहानी लिखना हाथ से फिसल रहे क्षणों को पकड़कर निचोड़ना है। क्षण को पकड़ लेना भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है, लेकिन हो सकता है हर बार उसे निचोड़ पाना सम्भव न हो। ये फिसलते हुए पल कहानीकार के अपने निजी पल भी हो सकते हैं, दूसरों के जीवन से चुराकर भोगे हुए पल भी हो सकते हैं। एक पल का एहसास अपनी सम्पूर्ण शक्ति के साथ फैलता है तो कहानी बन जाता है।

ISBN
9789388434423
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Vani Prakashan
Author: Dr. Naresh
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Publication Vani Prakashan
डॉ. नरेश (Dr. Naresh)

डॉ. नरेश - डॉ. नरेश का जन्म 7 नवम्बर, 1942 को मालेरकोटला (पंजाब) में हुआ। उन्होंने एम.ए. (हिन्दी, उर्दू) व पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। पंजाब विश्वविद्यालय में आधुनिक साहित्य के प्रोफ़ेसर और साहित्य अकादेमी, चंडीगढ़ के अध्यक्ष रहे डॉ. नरेश ने हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी व पंजाबी में पाँच दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी है। साहित्य-सेवा के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय अवार्ड व सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।

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