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Bharatiya Jnanpith

छाया मत छूना मन

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9788126316458
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छाया मत छूना मन - 
घास-फूस के टूटेac कच्चे घर! आकाश की झीनी छत! धरती पर कच्ची मिट्टी की मैली चादर! दो जून रूखी-सूखी मिल पाना भी मुश्किल...! मर-मरकर जीने वालों की यह व्यथा-कथा आज का युग-सत्य भी है, कहीं। बर्फ़ीले पर्वतीय क्षेत्र की इस कथा में एक अंचल विशेष की धरती की धड़कन है, एक जीता-जागता अहसास भी। गोमती, पिरमा, कुन्नू के माध्यम से सन्त्रस्त मानव-समाज के कई चित्र उजागर हुए हैं। इसलिए यह कुछ लोगों की कहानी, कहीं 'सबकी कहानी' बन गयी है—देश-काल की परिधि से परे।

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9788126316458
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Publication Bharatiya Jnanpith
हिमांशु जोशी (हिमांशु जोशी)

"हिमांशु जोशी - हिन्दी के अग्रणी कथाकार एवं पत्रकार। जन्म: 4 मई, 1935, उत्तरांचल में। 'अरण्य', 'महासागर', 'समय साक्षी है', 'छाया मत छूना मन', 'तुम्हारे लिए', 'सु-राज', 'सागर तट के शहर' उपन्यास चर्चित रहे। 'अन्ततः तथा अन्य कहानियाँ', 'मनुष्य-चिह्न तथा अन्य कहानियाँ', 'जलते हुए डैने तथा अन्य कहानियाँ', 'इस बार फिर बर्फ़ गिरी तो', 'इकहत्तर कहानियाँ', आदि लगभग चौदह कहानी-संग्रह; 'नील नदी का वृक्ष', 'अग्निसम्भव' कविता संग्रह; 'यात्राएँ' तथा 'सूरज चमके आधी रात' यात्रा-वृत्तान्त; 'यातना शिविर में' तथा 'आठवाँ सर्ग' संस्मरण उल्लेखनीय हैं। "

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