Publisher:
Vani Prakashan

दलित चेतना की पहचान

In stock
Only %1 left
SKU
9789350722473
Rating:
0%
As low as ₹375.25 Regular Price ₹395.00
Save 5%

दलित चेतना की पहचान - 
भारतीय सवर्ण मानसिकता की एक विशेषता यह है कि जो भी दलित या उपेक्षित द्वारा लिखा जाता है, वह स्तरीय नहीं होता- यह निर्णय वे उस रचना को पढ़ने के पूर्व ही ले लेते हैं। परिणामतः उस रचना की ओर वे पूर्वग्रह दृष्टि से देखने व सोचने लगते हैं। लेखक किस जाति का है, इस आधार पर कृति की श्रेष्ठता या कनिष्ठता निश्चित की जाती है। ऐसे लोगों से साहित्यिक बहस या संवाद हो भी तो कैसे? विदेश के किसी रचनाकार की किसी निकृष्ट रचना को अगर कोई अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार (बुकर आदि) प्राप्त हो जाय तो उस निकृष्ट रचना को भी श्रेष्ठ रचना के रूप में पढ़ने की प्रवृत्ति आज भी हममें मौजूद है। हमारे यहाँ अगर किसी सवर्ण की रचना में कुछ अश्लील शब्दों का प्रयोग हो, तो वह जायज है और अगर दलित की रचना में ऐसे शब्द अनायास आ जायें, तो अश्लील! यहाँ निरन्तर दोहरे मानदण्डों का प्रयोग किया जाता है। इसी कारण पूरी निष्ठा के साथ हमारे बीच जीने वाले किसी व्यक्ति या समूह के जीवन को पूरी सच्चाई के साथ जब कोई दलित लेखक सशक्त ढंग से व्यक्त करता है; तो भी उसे नकार दिया जाता है। उस पर बहस भी नहीं की जाती। इस मानसिकता को क्या कहें?

इस देश में आज भी समीक्षक अपनी भाषा में लिखी रचनाओं को लेखक की जाति को ध्यान में रखकर ही परखता है। पाठक तो रचना की गुणवत्ता को ही प्रमाण मानकर उसे स्वीकारता अथवा नकारता है। परन्तु जो समीक्षक, परीक्षक निर्णायक हैं अथवा जो तथाकथित बुद्धिजीवी हैं, वे अभी तक जातिवादी मानसिकता से बाहर नहीं आ पाये। प्रादेशिक अथवा राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देनेवाली अथवा पहचान बनानेवाली जितनी भी इकाइयाँ या प्रसार माध्यम हैं, क्या वे व्यक्ति अथवा रचना की ओर प्रदेश, भाषा, जाति, धर्म के परे जाकर देख रहे हैं- आज यही यक्ष प्रश्न हमारे सामने है।

ISBN
9789350722473
Publisher:
Vani Prakashan
More Information
Publication Vani Prakashan
डॉ. सूर्यनारायण रणसुभे (Dr. Suryanarayan Ransubhe)

"सम्पादक – सूर्यनारायण रणसुभे - जन्म : अगस्त 1942। प्रकाशित कृतियाँ : कहानीकार कमलेश्वर : सन्दर्भ और प्रकृति (1974), आधुनिक मराठी साहित्य का प्रवृत्तिमूलक इतिहास, देश-विभाजन और हिन्दी कथा साहित्य, डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर (जीवनी), जीवनीपरक साहित्य, उन्नीसवीं सदी और हिन्दी साहित्य, बीसवीं सदी और हिन्दी साहित्य, अनुवाद का समाजशास्त्र, दलित साहित्य: संवेदना और स्वरूप, पत्रकार : डॉ. भीमराव आम्बेडकर, आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास। अनुवाद (मराठी से हिन्दी): यादों के पंछी (आत्मकथा) - प्र. ई. सोनकांबले, अक्करमाशी (आत्मकथा) - शरणकुमार लिंबाले, हिन्दू (उपन्यास) - शरणकुमार लिंबाले, उठाईगीर (आत्मकथा) - लक्ष्मण गायकवाड, समाज परिवर्तन की दिशाएँ (वैचारिक लेखन) जे. एम. वाघमारे, साक्षीपुरम (नाटक) - रामनाथ चव्हाण, बामनवाडा (नाटक) -रामनाथ चव्हाण, बहुजन (उपन्यास) - शरणकुमार लिंबाले, मानव और धर्म चिन्तन - डॉ. रावसाहिब कसबे। अनुवाद (हिन्दी से मराठी) : झूठा सच (उपन्यास) - यशपाल, संरचनावाद उत्तर संरचनावाद और प्राच्य काव्यशास्त्र - गोपीचंद नारंग। "

Write Your Own Review
You're reviewing:दलित चेतना की पहचान
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/