प्रस्तुत पुस्तक में दस कालजयी उपन्यास हैं- ‘गोदान’ (प्रेमचन्द), ‘बूँद और समुद्र’ (अमृत लाल नागर), ‘शेखर: एक जीवनी’ (अज्ञेय), ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ (आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी), ‘झूठा सच’ (यशपाल), ‘मैला आँचल’ (फणीश्वरनाथ रेणु), ‘तमस’ (भीष्म साहनी), ‘आधा गाँव’ (राही मासूम रज़ा), ‘राग दरबारी’ (श्रीलाल शुक्ल), ‘धरती धन न अपना’ (जगदीश चन्द्र)। ये दस उपन्यास साहित्य का इतिहास रच रहे हैं। पूरा भारत इन उपन्यासों के माध्यम से देखा जा सकता है। आचार्य शुक्ल ने उपन्यास को लेकर जो कुछ कहा, वह अकारथ नहीं था- ”मानव जीवन के अनेक रूपों का परिचय कराना उपन्यास का काम है। यह उन सूक्ष्म घटनाओं को प्रत्यक्ष करने का कार्य करता है, यत्न करता है, जिनसे मनुष्य का जीवन बनता है, जो इतिहास आदि की पहुँच से बाहर है। बहुत लोग उपन्यास का आधार शुद्ध कल्पना बताते हैं पर उत्कृष्ट उपन्यासों का आधार अनुमान शक्ति है, न कि कल्पना।“ ..
"तरसेम गुजराल
जन्म : 1950; माता : श्रीमती राजरानी गुजराल; पिता : श्री सिरी राम गुजराल।
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, पीएच.डी. : 'विविध कथा आन्दोलनों के सन्दर्भ में प्रेमचन्दोत्तर कहानी का वस्तुपरक मूल्यांकन' पर मेरठ विश्वविद्यालय से।
प्रकाशित कृतियाँ : तीन उपन्यास, सात कहानी-संग्रह, तीन कविता-संग्रह, एक व्यंग्य संग्रह, दो साक्षात्कार और अनेक पुस्तकों का सम्पादन एवं अनुवाद।
सम्मान : 'जलता हुआ गुलाब' उपन्यास पर 1989 में प्रेमचन्द्र महेश सम्मान, इसी उपन्यास के लिए 1990 में पंजाब साहित्य अकादमी से सम्मानित तरसेम गुजराल अनेक सम्मानों से सम्मानित किये जा चुके हैं।
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