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Deewaron Ke Bahar

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आज गैलरी से उसे जिस तरह दुनिया नज़र आती है, उसने उसमें एक साथ कई आकांक्षाएँ जगा दी हैं। वह चाहता है, बचपन की तरह बहुत-से पैसे चिड़ीमार को देकर बहुत-सी चिड़ियाँ उसके पिंजरे से आज़ाद करा दे। वह चाहता है, शाम होते ही किसी क़ब्रिस्तान में जाये और किसी एक क़ब्र पर ढेर सारी अगरबत्तियाँ जलाये और एक साथ कई क़ब्रों पर फ़ातिहा पढ़कर चला आये । वह चाहता है, समन्दर के किनारे किसी सुनसान कोने में बैठकर आती-जाती हुई लहरों पर कई भूले-बिसरे चेहरे बनाये। वह चाहता है, अतीत की किसी ख़ुशी को याद करके इतना हँसे कि आँखों में आँसू चमक उठें। उसे याद आता है, एक लम्बे अरसे से उसे अच्छी तरह रोने की फुर्सत ही नसीब नहीं हुई। जमील फ़ातिमा के गुज़र जाने का जब उसे तार मिलता है, वह दोस्तों में घिरा होता है। मुर्तज्ञा हसन का ग़म रोज़ी-रोटी, दाना-पानी की भाग-दौड़ में कहीं छूट जाता है। और भी कई छोटे-बड़े दुख इसी तरह आते हैं और चले जाते हैं। समय के इस पूरे अन्तराल में उसका सारा रोना आँखों से दूर, उसके अन्दर कहीं जमा होता रहता है और वह लगातार हँसता रहता है।

शहर में सबको कहाँ मिलती है राती जगह 
अपनी इज्जत भी यहाँ हँसने-हँसाने से रही

ISBN
9788170558170
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Vani Prakashan
Author: Nida Fazli
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निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli)

निदा फ़ाज़ली : निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्तूबर 1998 को दिल्ली में और प्रारम्भिक जीवन ग्वालियर में गुज़रा। ग्वालियर में रहते हुए उन्होंने उर्दू अदब में अपनी पहचान बना ली थी और बहुत जल्द वे उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के एक महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में पहचाने जाने लगे। निदा फ़ाज़ली की कविताओं का पहला संकलन लफ़्ज़ों का पुल छपते ही उन्हें भारत और पाकिस्तान में जो ख्याति मिली वह विरले ही कवियों को नसीब होती है। गद्य की किताब मुलाक़ातें के लिए वे काफ़ी विवादास्पद और चर्चित रह चुके थे। खोया हुआ सा कुछ उनकी शाइरी का एक और महत्त्वपूर्ण संग्रह है। सन् 1999 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार खोया हुआ सा कुछ पुस्तक पर दिया गया है। उनकी आत्मकथा का पहला खण्ड दीवारों के बीच और दूसरा खण्ड दीवारों के बाहर बेहद लोकप्रिय हुए हैं। फ़िल्म उद्योग से भी सम्बद्ध रहे। भारत सरकार ने 2013 को पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा। 'तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है', 'कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता' और 'होश वालों को ख़बर क्या' जैसे पचासों चर्चित गाने फ़िल्मों के लिए लिखे । सम्पर्क : बी-201, सनराइज, आराम नगर 2, अपोजिट डीसीबी बैंक, फिशरीज यूनिवर्सिटी रोड, वर्सोवा, अन्धेरी (प.), मुम्बई - 400061 उनकी मृत्यु 8 फ़रवरी 2016 को हृदय गति रुकने से मुम्बई में हुई ।

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