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देस-परदेस

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"देस-परदेस - हिन्दी के शीर्षस्थ कथाकार एवं चर्चित लेखक पत्रकार कमलेश्वर की पच्चीस कहानियों का संग्रह है–'देस-परदेस'। कमलेश्वर की कहानियाँ मानव अस्तित्व की चिन्ता से जुड़ी होती हैं और हर कहानी इन्सानियत को बचाये रखने की लड़ाई में कोई बयान देती नज़र आती है। प्रेमचन्द के बाद कमलेश्वर की कहानियों में वह मुखर पक्षधरता है जिसके कारण कोई लेखक समय के बदलाव के बावजूद प्रासंगिक बना रहता है। क़स्बे के आम आदमी की पीड़ा से अपने लेखन की शुरु करनेवाले कमलेश्वर ने कालान्तर में अपनी संवेदना का विस्तार विश्व समाज तक किया। उनकी कहानियों में समूचे विश्व में फैले आतंकवाद, साम्राज्यवाद, नस्लवाद और सामाजिक विखण्डन के विरुद्ध स्पष्ट प्रतिरोध है। 'देस-परदेस' की कहानियाँ कमलेश्वर ने अलग-अलग समय पर, अलग-अलग पृष्ठभूमि में लिखी हैं। इन रचनाओं के माध्यम से हम अपने आसपास की साधारण समस्याओं से लगाकर व्यापक वैश्विक प्रश्नों से टकराते हैं। स्वयं कमलेश्वर जैसे लेखक की वैचारिक और मानसिक यात्रा का यह बड़ा ही ख़ूबसूरत दस्तावेज़ है। आशा है, यह संचयन कमलेश्वर के कथा साहित्य में बड़े कैनवास पर रची कहानियों के कारण अलग से पहचाना जायेगा। "
ISBN
9788126318438
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Bharatiya Jnanpith
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Publication Bharatiya Jnanpith
कमलेश्वर (कमलेश्वर)

"कमलेश्वर - जन्म: 6 जनवरी, 1932, मैनपुरी (उ.प्र.)। प्रकाशित रचनाएँ पचास से अधिक। 'कितने पाकिस्तान', 'एक सड़क सत्तावन गलियाँ', 'लौटे हुए मुसाफ़िर', 'डाक बँगला', 'समुद्र में खोया हुआ आदमी', 'तीसरा आदमी', 'काली आँधी', 'वही बात', 'आगामी अतीत', 'सुबह... दोपहर... शाम', 'रेगिस्तान', 'चन्द्रकान्ता', 'अनबीता व्यतीत' आदि (उपन्यास); 'जार्ज पंचम की नाक', 'मांस का दरिया', 'इतने अच्छे दिन', 'कोहरा', 'कथा प्रस्थान', 'आज़ादी मुबारक', 'राजा निरबंसिया', 'क़स्बे का आदमी', 'बयान' (कहानी-संग्रह); 'नयी कहानी की भूमिका' तथा 'मेरा पन्ना' (आलोचना); 'जो मैंने जिया', 'यादों के चिराग' आदि (संस्मरण); 'बंगलादेश का युद्ध' और 'देश-देशान्तर' (डायरी); 'कश्मीर : रात के बाद' (यात्रा-वृत्त); 'घटना चक्र', 'परिक्रमा', 'बन्धक लोकतन्त्र' आदि अनेक लेख संग्रह। 'नयी कहानियाँ', 'सारिका', 'कथा यात्रा' आदि सात चर्चित पत्रिकाओं तथा 'दैनिक जागरण', 'दैनिक भास्कर' राजस्थान संस्करणों के प्रधान सम्पादक। इग्लैण्ड, जर्मनी, स्विट्ज़रलैण्ड, फ्रांस, इटली, रूस, पाकिस्तान, चाइना आदि कई देशों की यात्राएँ। बिहार के 'राष्ट्रभाषा शिखर सम्मान', 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार', हिन्दी अकादेमी के 'शलाका सम्मान', उत्तर प्रदेश के 'भारतभारती पुरस्कार' आदि से सम्मानित। "

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