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Vani Prakashan

धूप की लपेट

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"सर्वेश्वर साहित्य के पाठकों के लिए यह पुस्तक एक उपलब्धि कही जा सकती है। इसकी ज़्यादातर सामग्री पहली बार पुस्तक रूप में और बहुत-सी सामग्री तो पहली बार प्रकाशित रूप में सामने आ रही है। सर्वेश्वर ग्रन्थावली की तैयारी के दौरान मुझे एक पेटी में कई डायरियाँ और कतरनें देखने को मिलीं। इन डायरियों को पलटने पर देखा कि उनमें तो तिथिवार, वर्षवार कविताएँ लिखी हुई हैं। इन कविताओं का सर्वेश्वर जी के सभी प्रकाशित संग्रहों से मिलान करने पर पाया कि इनमें से ढेरों कविताएँ किसी संग्रह में स्थान नहीं पा सकीं । अपने सहयोगी विशनसिंह रावत की विदाई पर लिखीं दो कविताएँ- 'टोपी' और 'शुभकामना', अपने एक अन्य सहयोगी मनोहरश्याम जोशी के विवाह के अवसर पर लिखा गया सेहरा, कुँवर के विवाह पर लिखी गयी कविता, राजेन्द्र अवस्थी पर लिखी गयी पैरोडी, सड़क साहित्य के बहाने लिखी पैरौडी जैसी इस पुस्तक में सर्वेश्वर जी की काव्यकला की कई रचनाएँ भी समाहित हैं जो उनके पाठकों को एक अलग ही क़िस्म के कवि सर्वेश्वर से परिचित करायेंगी। सर्वेश्वर जी ने कई विदेशी कवियों की कविताओं का अनुवाद भी किया था। उनमें से कुछ 'दिनमान' में 'आज की कविता' स्तम्भ में प्रकाशित हुईं। वे और शेष अन्य भी उनकी एक डायरी में लेखक, परिचय सहित उपलब्ध हुईं। ये सब अनूदित कविताएँ भी इस पुस्तक में सम्मिलित हैं। सर्वेश्वर जी की कविता पर अज्ञेय जी का एक आलेख भी उनकी फ़ाइलों में टाइप किया हुआ मिला। यह किस पत्र-पत्रिका के लिए लिखा गया, यह तो पता नहीं लग सका। बहरहाल, उनकी अप्रकाशित कविताओं के साथ उनकी कविता पर अज्ञेय जी के आलेख (सम्भवतः अप्रकाशित ही) से उपयुक्त और क्या हो सकता था, सो उस आलेख को भी इस संग्रह के आरम्भ में दिया जा रहा है।"
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9789999999502
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सर्वेश्वरदयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena )

"सर्वेश्वरदयाल सक्सेना - जन्म : 15 सितम्बर, 1927 कृतियाँ : लड़ाई, बकरी, अब गरीबी हटाओ (नाटक), हवालात (एकांकी संकलन), पीली पत्तियाँ (रेडियो रूपक), होरी धूम मच्यो री (छन्द-नृत्य नाटिकाएँ), कुआनो नदी, जंगल का दर्द, खूँटियों पर टँगे लोग, कविताएँ-1, कविताएँ -2, एक सूनी नाव (कविता-संग्रह), चर्चे और चर्खे (रिपोर्ताज), काठ की घंटियाँ (प्रतिनिधि संग्रह), कुछ रंग कुछ गन्ध ( यात्रा वृत्तान्त), सूने चौखटे, सोया हुआ जल (उपन्यास), क्षितिज के पार, बदला हुआ कोण, पराजय का क्षण (कहानी-संग्रह), अपना दाना (बाल कथाएँ), अनाप-शनाप, हाथी की पों, भौं भौं खों खों, लाख की नाक, कल भात आयेगा, बुद्ध की करुणा (बाल नाटक), बतूता का जूता, बिल्ली के बच्चे, मंहगू की टाई (बाल कविताएँ), सर्वेश्वरदयाल सक्सेना सम्पूर्ण गद्य रचनाएँ (चार खण्ड)। स्मृतिशेष : 24 सितम्बर, 1983 "

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