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गद्य की लघु विधाओं में डायरी अपनी एक अर्थवान पहचान बना चुकी है। लगभग सभी भाषाओं में महत्त्वपूर्ण डायरियाँ लिखी गयी हैं। हिन्दी उपन्यासों और कहानियों में एक शिल्प के रूप में इनका प्रयोग होता रहा है पर एक स्वतन्त्र विधा के रूप में इनका लेखन अभी कम ही हुआ है। लेखकों की प्रकृति के अनुसार डायरियों के रूप-रंग में भिन्नता स्वाभाविक है। कुछ डायरियों में किसी का नामोल्लेख नहीं होता। कुछ में वास्तविक तिथियों, घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख रहता है। कुछ नितान्त काल्पनिक भी होती हैं।

प्रस्तुत डायरी में भाषा, साहित्य, समाज, राजनीति आदि के बारे में लेखक का अपना अनुभव और गम्भीर चिन्तन तो है ही कुछ घटनाओं और व्यक्तियों से सम्बन्धित ऐसे तथ्य भी हैं जिनका साहित्यिक-राजनीतिक सन्दर्भों के लिए ऐतिहासिक महत्त्व है। लेखक के अनुसार इन तथ्यों और विवरणों में सत्य का आग्रह है जिनका प्रामाणिक तौर पर उपयोग किया जा सकता है। इस डायरी में कुछ यात्रा प्रसंग भी हैं जो उस स्थान विशेष के इतिहास, भूगोल और परिवेश से सम्बन्धित कई अल्पज्ञात सूचनाएँ प्रस्तुत करते हैं। यह प्रतिदिन लिखी जाने वाली निजी दैनंदिनि नहीं है बल्कि इसमें एक विस्तृत कालखंड का लोकानुभव अत्यन्त संक्षिप्त रूप में लिपिबद्ध है।

आशा है पाठक अपनी-अपनी रुचि के अनुसार विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की इस कृति का आस्वाद करेंगे।

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9789350726976
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विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (Vishwanath Prasad Tiwari)

"विश्वनाथ प्रसाद तिवारी - जन्म: 20 जून, 1940 को रायपुर भैंसही-भेड़िहारी, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) में। गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष पद से वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त। सम्प्रति साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली के उपाध्यक्ष। रचना और आलोचना की विशिष्ट पत्रिका 'दस्तावेज़' का वर्ष 1978 से निरन्तर सम्पादन। कविता, आलोचना, संस्मरण, यात्रा आदि की लगभग पच्चीस पुस्तकें प्रकाशित। इनके अतिरिक्त लगभग एक दर्जन पुस्तकों का सम्पादन। प्रमुख रचनाओं के उर्दू, गुजराती, पंजाबी, मलयालम,बांग्ला, तेलुगु, कन्नड़, नेपाली, अंग्रेज़ी, रूसी आदि अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद। पुरस्कार/सम्मान: काव्य संग्रह 'फिर भी कुछ रह जायेगा' को के. के. बिड़ला फ़ाउंडेशन का व्यास सम्मान (2010)। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का 'हिन्दी गौरव' और 'साहित्य भूषण' सम्मान। 'दस्तावेज़' पत्रिका को इसी संस्थान द्वारा दो बार 'सरस्वती सम्मान'। उत्तर प्रदेश सरकार का 'शिक्षक श्री' सम्मान। इंगलैंड, मॉरिशस, रूस, अमेरिका, चीन, कनाडा, नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, लक्ज़मबर्ग, बेल्जियम, थाइलैंड और नेपाल की साहित्यिक यात्राएँ। "

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