Publisher:
Vani Prakashan

दो नोबेल पुरस्कार विजेता कवि : मेरे चेहरे के नुकूश : चेस्वाव मीवोश किसी को हटाना होगा यह मलबा : विस्वावा शिम्बोर्स्का

In stock
Only %1 left
SKU
9788170558286
Rating:
0%
As low as ₹118.75 Regular Price ₹125.00
Save 5%

दो नोबेल पुरस्कार विजेता कवि : मेरे चेहरे के नुकूश - समीक्षकों ने समसामयिक पोल कविता के विकास में मिवोश के दूरगामी योगदान को रेखांकित किया है और पारम्परीण तथा आधुनिकतावादी रूप-विधानों के उनके प्रयोगों, उनकी गीतात्मकता तथा व्यंग्य और अंगांगी अलंकार (सिनेकडॉकी)" पर उनके अधिकार की सराहना की है। उनके पहले तीन संग्रहों 'जमे हुए समय पर एक कविता', 'तीन जाड़े', तथा 'कविताएँ' में ग्रामीण प्रकृतिवादी गीत हैं, सृजन-प्रक्रिया पर चिन्तन है और सामाजिक प्रश्नों पर टिप्पणियाँ भी हैं। जब दूसरे विश्व युद्ध ने मिवोश और उनके साथी-साहित्यकारों की विनाश- भविष्यवाणियों को सच कर दिया तब मिवोश ने नात्सी-विरोधी कविताएँ लिखीं जो गुप्त रूप से छापी और बाँटी गईं। इन कविताओं में उस ज़माने के आतंक और पीड़ा को व्यक्त करने में प्रदर्शित भावनात्मक नियन्त्रण के लिए उनकी प्रशंसा की गई है। स्वयं मिवोश ने अपनी गद्य-पुस्तक “पोल साहित्य का इतिहास" में कहा है : जब कोई कवि सशक्त भावनाओं से विचलित हो तो उसका रूप-विधान अधिक सरल और अधिक सीधा होता जाता है। ऐसा माना जाता है कि मिवोश की प्रतिभा उनके कविता-संग्रह 'उद्धार' में परवान चढ़ी जिसमें उनकी 'दुनिया' और 'गरीबों की आवाज़ें' जैसी सर्वाधिक प्रसिद्ध कविताएँ संकलित हैं। अपने अगले दो संग्रहों 'दिन का उजाला' और 'कविता पर प्रबन्ध' में मिवोश ने गीतात्मकता, आधुनिकता तथा शास्त्रीयता को जोड़ते हुए ऐसी कविताएँ रचीं जो कभी व्याख्यात्मक हैं तो कभी भविष्यदर्शी और कभी गम्भीर। 'अलग डायरियाँ' और 'सूर्य का उगना' जैसे बाद के संग्रहों में मिवोश ने लयात्मक गद्य और अनेक शास्त्रीय तत्त्वों का इस्तेमाल किया, साथ ही सन्तुलन और रूपाकार के प्रति सम्मान और एक मितभाषी शैली का प्रदर्शन भी किया। मिवोश के बारे में महत्त्वपूर्ण यह है कि उन्होंने अधिकांश आधुनिक कविता के एक लक्षण- साथ प्रयोग-को अपने सृजन से दूर ही रखा है और अपने विचारों को अधिक-से-अधिक स्पष्ट रूप से सम्प्रेषित करने का प्रयास किया है। उनके अधिकांश लेखन में गहरी भावना है जिसमें लोकोत्तर आध्यात्मिकता का पुट है। रोमन कैथलिक आस्था में उनकी जड़ों और सत्-असत् की समस्या के प्रति उनके आकर्षण को उनकी कविता और गद्य में प्रतिबिम्बित देखा गया है।

ISBN
9788170558286
Publisher:
Vani Prakashan
More Information
Publication Vani Prakashan
चेस्वाव मीवोश (Czeslaw Milosz)

चेस्वाव मिवोश - साहित्य के लिए 1980 के नोबेल पुरस्कार विजेता चेस्वाव मिवोश (जन्म 1911) को पोल भाषा तथा पोलैण्ड का महानतम समसामयिक कवि माना जाता है, यद्यपि वे अपनी मातृभूमि से पिछले 40 वर्षों से ‘आत्म-निर्वासन' में रह रहे हैं। मिवोश के लेखन के सरोकार मानवीय एवं ईसाई हैं जिनकी जद में अच्छाई और बुराई, राजनीति, इतिहास, आध्यात्मिक अनुशीलन तथा व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय अस्मिता आदि आ जाते हैं। उनका सारा प्रयत्न अनुभवों का सामना करने का रहा है किन्तु उससे भी आगे वे इतिहास की कुरूपताओं और सुन्दरताओं को भी जानते हैं। उनका लेखन यह प्रमाणित करता है कि हमारे समय की भयावह अमानवीयताओं के बावजूद एक कवि इस दुनिया को ऐसी जगह मानता है जहाँ सत् और असत् अभी भी बहुत सार्थक अवधारणाएँ हैं और परस्पर विरोधी शक्तियों के रूप में सक्रिय हैं।

,
विस्वावा शिम्बोर्स्का (Wislawa Szymborska)

शिम्बोस्क 1923 में पश्चिमी पोलैंड के पोज़्नान क्षेत्र के ब्निन नामक छोटे कस्बे में जन्मी थीं। जब वे आठ वर्ष की थीं तब अपने परिवार सहित क्राकोव आ गईं और तब से वहीं रहती हैं। जब जर्मन आधिपत्य के समय नात्सियों ने पोल माध्यमिक स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई पर प्रतिबन्ध लगा दिया तो शिम्बोस्क गैरकानूनी ढंग से स्कूल गईं और युद्ध के बाद उन्होंने क्राकोव के यागिएल्लोनियन विश्वविद्यालय में पोल साहित्य और समाजशास्त्र का अध्ययन किया। 1952 से 1981 तक उन्होंने 'जीसिए लितेरात्सकिए' (साहित्यिक जीवन) नामक सांस्कृतिक साप्ताहिक के सम्पादकीय विभाग में काम किया। उनके लगभग एक दर्जन कविता-संग्रह और संकलित कविताओं के कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। वे 16वीं तथा 17वीं सदी की फ्रैंच कविता से पोल भाषा में अपने अनुवादों के लिए भी जानी-मानी जाती हैं।

Write Your Own Review
You're reviewing:दो नोबेल पुरस्कार विजेता कवि : मेरे चेहरे के नुकूश : चेस्वाव मीवोश किसी को हटाना होगा यह मलबा : विस्वावा शिम्बोर्स्का
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/