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डूबकर डूबा नहीं हरसूद

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डूबकर डूबा नहीं हरसूद - 
'डूबकर डूबा नहीं हरसूद' कविता संग्रह पर्यावरण और सभ्यता के विध्वंस के ख़िलाफ़ एक दस्तावेज़ है। यह एक 'लम्बी कविता' का रूप तो है लेकिन उसकी शैली का निर्धारण नहीं है। हम निराला की 'राम की शक्तिपूजा' से चलते हुए प्रेमशंकर रघुवंशी की 'डूबकर डूबा नहीं हरसूद' तक आ पहुँचे हैं। रघुवंशी ने तो इसमें अनगढ़ शिल्प, अर्निदिष्ट विधा तथा घटना-रिपोर्टिंग और कमेन्ट्री का इस्तेमाल करते हुए उथल-पुथल कर दी है। इस लम्बी कविता में आद्योपान्त एक मुक़दमा चालू रहता है, रचनाकार तथा आलोचिन्तक के बीच यह कविता दर्दनाक तटस्थता के प्रतिपक्ष में ऐतिहासिक सापेक्षता का भी द्वन्द्व पेश करती है।

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Doobkar Dooba Nahni Harsood
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Publication Bharatiya Jnanpith
प्रेमशंकर रघुवंशी (Premshankar Raghuvanshi )

"प्रेमशंकर रघुवंशी - प्रेमशंकर रघुवंशी का जन्म 8 जनवरी, 1936 को बैंगनिया, हरदा, होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में हुआ। अब तक इनके प्रकाशित कविता संग्रह हैं—आकार लेती यात्राएँ, पहाड़ों के बीच, देखो साँप : तक्षक नाग, तुम पूरी पृथ्वी हो कविता, पकी फ़सल के बीच, नर्मदा की लहरों से और डूबकर डूबा नहीं हरदूस आदि प्रेमशंकर रघुवंशी दुष्यन्त पुरस्कार, बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार, वागीश्वरी पुरस्कार, आर्यकल्प पुरस्कार आदि सम्मानों से सम्मानित हैं। "

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