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Bharatiya Jnanpith
डूबकर डूबा नहीं हरसूद
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Doobkar Dooba Nahni Harsood
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डूबकर डूबा नहीं हरसूद -
'डूबकर डूबा नहीं हरसूद' कविता संग्रह पर्यावरण और सभ्यता के विध्वंस के ख़िलाफ़ एक दस्तावेज़ है। यह एक 'लम्बी कविता' का रूप तो है लेकिन उसकी शैली का निर्धारण नहीं है। हम निराला की 'राम की शक्तिपूजा' से चलते हुए प्रेमशंकर रघुवंशी की 'डूबकर डूबा नहीं हरसूद' तक आ पहुँचे हैं। रघुवंशी ने तो इसमें अनगढ़ शिल्प, अर्निदिष्ट विधा तथा घटना-रिपोर्टिंग और कमेन्ट्री का इस्तेमाल करते हुए उथल-पुथल कर दी है। इस लम्बी कविता में आद्योपान्त एक मुक़दमा चालू रहता है, रचनाकार तथा आलोचिन्तक के बीच यह कविता दर्दनाक तटस्थता के प्रतिपक्ष में ऐतिहासिक सापेक्षता का भी द्वन्द्व पेश करती है।
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Doobkar Dooba Nahni Harsood
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Bharatiya Jnanpith
Publication | Bharatiya Jnanpith |
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