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एक ही तो है आखर

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Ek Hee To Hai Aakhar
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"एक ही तो है आखर - शरद रंजन शरद नवीनतम पीढ़ी के कवि है। किसी शोर-शराबे और चमक-दमक से दूर रहकर उन्होंने अपनी रचनाधर्मिता को गहराई तक पहुँचाया है। किसी भी प्रामाणिक छवि की तरह उनकी कविता का वस्तु-लोक ही अलग नहीं है, उनका मुहावरा भी बिल्कुल अलग है, जिससे कविता के गम्भीर पाठक को भी धीरता के साथ ग्रहण करना होगा। यह ऐसे गुण हैं जो एक कवि को विशिष्ट तो बनाते ही है, उसके भावी विकास के प्रति काव्य-प्रेमियों को आश्वस्त भी करते हैं। यह शरद की परिपक्वता का ही सूचक है कि ये कविता से रातोरात सबकुछ बदल डालने जैसी अपेक्षा नहीं रखते और इतना भर कहते हैं : 'हूँ तो कुछ करूँ कि पड़े थोड़ा ख़लल ठहरी सहमी चेतना पर फेंकूँ कंकड़' यह कहना अनुचित नहीं होगा कि शरद नवीनतम पीढ़ी के एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने अपने रचनात्मक उद्देश्य में इस स्तर तक स्पृहणीय रूप में सफलता पायी है। एक प्रतिभाशाली युवा कवि का पहला काव्य संग्रह पाठकों को सौंपते हुए ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है। "
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शरद रंजन शरद (Sharad Ranjan Sharad )

"शरद रंजन शरद - जन्म: 1958 ई.। शिक्षा: पटना विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर। पिछले ढाई दशक से हिन्दी में साहित्य लेखन और पत्रकारिता। देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। नवभारत टाइम्स के मुम्बई एवं पटना कार्यालय में उपसम्पादक पद पर कार्य। कुछेक पत्रिकाओं के सम्पादन कार्य में योगदान। रंगमंच, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से सम्बद्ध। "

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