एक समर्पित महिला - कहानी के जिस नयेपन की बार-बार चर्चा की जाती है कदाचित् नरेश मेहता की कहानियाँ पहली बार उसका वास्तविक प्रतिनिधित्व करने में सफल हुई हैं। कहानी को सूक्ष्म से सूक्ष्मतर बनाने, संश्लिष्ट चरित्रों के विधान, कथा-सूत्रों की विश्रृंखलता, अमूर्त प्रतीक विधान एवं व्यंजना-रूपों में नरेश मेहता का योगदान रहा है। उन्होंने आज की कहानी को एक सर्वथा अभिनव दिशा दी है।—डॉ. लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय नरेश मेहता की कहानियाँ उनके रागात्मक बोध की आधुनिक संचेतना, स्थितियों की कॉन्शस शालीनता, भाषा की नयी अर्थवत्ता, पात्रों के अभिनव परिपार्श्व, कविता जैसी रसानुभूति करानेवाली संवेदनशीलता एवं यथार्थ के नये सन्दर्भों के कारण विशिष्ट उपलब्धियाँ हैं। 'एक समर्पित महिला' में संगृहीत कहानियों की सर्वाधिक प्रमुख विशेषता इनकी अनूठी प्रतीक योजना एवं भाषा का कलात्मक सौष्ठव है। भाषा, अभिव्यक्ति एवं विषय-वस्तु में नरेश मेहता संस्कारशील कहानीकार हैं। इसीलिए इन कहानियों की प्रथम प्रतिक्रिया किंचित् जटिलता का आभास दे सकती है पर कहानियों में अभिव्यक्ति की नयी मर्यादाएँ स्थापित करने में सफल हैं।—डॉ. सुरेशचन्द्र सिन्हा
"श्रीनरेश मेहता -
15 फ़रवरी, 1922 को शाजापुर, मालवा में जन्मे श्रीनरेश मेहता आधुनिक भारतीय साहित्य के शीर्षस्थ कवि, कथाकार और चिन्तक है। शिप्रा नर्मदा से लेकर गंगा तक फैले हुए उनके जीवन का फलक काफ़ी विस्तृत है। काशी विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. के बाद कुछेक दैनिक पत्रों और फिर आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों में सेवा कार्य किया। सन् 1942 के स्वाधीनता आन्दोलन में छात्रनेता के रूप में सक्रिय भूमिका निभायी, और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट का पद भार भी ग्रहण किया। इन सबके बावजूद काँकर-कंटकों से भरे जीवन पथ को बन्धु मानने की उनकी बुनियादी आस्था ने उन्हें रचनाकर्म की ओर मोड़ दिया। सौभाग्य से काशी के सारस्वत परिवेश और ऋषितुल्य आचार्य केशव प्रसाद मिश्र, पं. गोपीनाथ कविराज जैसे मनीषी पुरुषों के सान्निध्य ने उनके भीतर के रचनाकार को वैदिक एवं औपनिषदिक चिन्तन को भूमिका में ला दिया।
उनकी अब तक प्रकाशित रचनाओं में 15 काव्य संकलन, 7 उपन्यास, 3 कहानी संग्रह, 4 नाटक, 4 चिन्तनपरक ग्रन्थ और एक यात्रावृत्त विशेष उल्लेखनीय हैं।
मध्य प्रदेश शासन के 'राजकीय सम्मान', 'सारस्वत सम्मान', 'शिखर सम्मान', उ. प्र. के 'संस्थान सम्मान', हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 'मंगलाप्रसाद पारितोषिक', साहित्य अकादेमी पुरस्कार, उत्तरप्रदेश साहित्य संस्थान के 'भारतभारती' सम्मान तथा 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' आदि से सम्मानित।
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