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Gantantra Ka Ganit

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गणतंत्र का गणित - 
अक्सर यह देखने में आया है कि सामाजिक विसंगतियों पर चोट करने के लिए उपदेश या भाषण की तुलना में व्यंग्य एक अधिक कारगर विधा है। हल्की-हल्की हँसी और तीख़ेपन के साथ कही गयी बातें भारी-भारी नसीहतों की तुलना में लोगों के दिलों में कहीं ज़्यादा घर करती हैं। इसीलिए हिन्दी में व्यंग्य की एक सुदीर्घ परम्परा है। बालमुकुन्द गुप्त और बालकृष्ण भट्ट की तो बात ही क्या, भारतेन्दु ही से व्यंग्य की यह धारा हिन्दी में बहने लगती है और हरिशंकर परसाई और शरद जोशी तक पहुँचते-पहुँचते एक स्थापित विधा का रूप ले लेती है। आज ऐसा कोई समाचार पत्र या साप्ताहिक पत्रिका नहीं होगी जिसमें व्यंग्य का अनिवार्य स्थान न हों।
नरेन्द्र कोहली एक जाने-माने कथाकार और उपन्यासकार ही नहीं, एक चर्चित व्यंग्यकार भी हैं। अपनी कहानियों और उपन्यासों को लिखने के साथ-साथ वे बीच में व्यंग्य लेखों और टिप्पणियों पर भी हाथ आज़माते रहते हैं। सहज सरल और चुटीली भाषा-शैली और रोज़मर्रा के जीवन से उठाये गये प्रसंग-नरेन्द्र कोहली के व्यंग्य लेख हमारे आपके इर्द-गिर्द के जीवन से सम्बद्ध हैं। इसीलिए शायद इनकी पहुँच इतनी व्यापक है। विषय चाहे साम्प्रदायिकता हो या शादी या अवैध कब्ज़े या फिर अन्धविश्वास का - नरेन्द्र कोहली का व्यंग्य-भरा नश्तर समान रूप से पाखण्ड को उजागर करने के लिए अपनी चीर-फाड़ करता रहता है। अक्सर उन्होंने 'रामलुभाया' जैसा एक पात्र भी अपनी इन टिप्पणियों में कल्पित किया है। जिसके माध्यम से जो कुछ कहना होता है, वे बखूबी कह देते हैं।

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9788170555445
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Vani Prakashan
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नरेन्द्र कोहली (Narendra Kohli)

"नरेन्द्र कोहली जन्म : 6 जनवरी, 1940 कालजयी कथाकार एवं मनीषी डॉ. नरेन्द्र कोहली की गणना आधुनिक हिन्दी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में होती है। कोहली जी ने साहित्य की सभी प्रमुख विधाओं (उपन्यास, व्यंग्य, नाटक, कहानी) एवं गौण विधाओं (संस्मरण, निबन्ध, पत्र आदि) और आलोचनात्मक साहित्य में अपनी लेखनी चलायी। हिन्दी साहित्य में 'महाकाव्यात्मक उपन्यास' की विधा को प्रारम्भ करने का श्रेय नरेन्द्र कोहली को ही जाता है। पौराणिक एवं ऐतिहासिक चरित्रों की गुत्थियों को सुलझाते हुए उनके माध्यम से आधुनिक समाज की समस्याओं एवं उनके समाधान को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना नरेन्द्र कोहली की अन्यतम विशेषता है। नरेन्द्र कोहली सांस्कृतिक राष्ट्रवादी साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जीवन-शैली एवं दर्शन का सम्यक् परिचय करवाया है 1 रचनाएँ : अभ्युदय (दो भाग), महासमर 1: बन्धन, महासमर 2 : अधिकार, महासमर 3 : कर्म, महासमर 4 : धर्म, महासमर 5 : अन्तराल, महासमर 6 : प्रच्छन्न, महासमर 7 : प्रत्यक्ष, महासमर 8 : निर्बन्ध, महासमर 9 : आनुषंगिक, महासमर (रजत संस्करण-9 खण्डों में), महासमर (विशेष संस्करण-9 खण्डों में ही उपलब्ध), सैरन्ध्री, न भूतो न भविष्यति (व्यास सम्मान 2013), मत्स्यगन्धा, हिडिम्बा, कुन्ती, मेरे राम : मेरी रामकथा, पुनरारम्भ, अवसर, दीक्षा, संघर्ष की ओर, युद्ध (दो भाग), देश के हित में, सागर-मन्थन (उपन्यास); हम सबका घर (बाल उपन्यास); समग्र कहानियाँ (दो भाग); व्यंग्य गाथा (दो भाग), मुहल्ला, वह कहाँ है, सबसे बड़ा सत्य, हुए मर के हम जो रुसवा, नामचर्चा, देश के शुभचिन्तक, त्राहि-त्राहि, इश्क़ एक शहर का, राम लुभाया कहता है, आयोग, सपने में आये तीन परिवार, गणतन्त्र का गणित, किसे जगाऊँ, प्रतिनाद, स्मरामि (व्यंग्य); किष्किन्धा, अगस्त्य कथा (नाटक); हिन्दी उपन्यास : सृजन और सिद्धान्त, प्रेमचन्द (आलोचना); जहाँ है धर्म वहीं है जय, नरेन्द्र कोहली ने कहा (विचार-लेख)। सम्मान : पद्मश्री सम्मान, व्यास सम्मान, शलाका सम्मान, पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्मान, अट्टहास सम्मान। निधन : 17 अप्रैल, 2021 "

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