गाँव के मन से रू-ब-रू : विद्यानिवास मिश्र
गाँव के मन से रू-ब-रू' मिश्र जी के साक्षात्कारों का संकलन है। साधारण मनुष्य के जीवन और समाज का जो अनुभव होता है उससे निष्कर्ष निकाला जा सकता है। लेकिन जब विद्वान् रचनाकार लोक, शास्त्र, जीवन और साहित्य को देखता है तो उसके पीछे उसका दर्शन, भाषा और संस्कारों की विराट निधि होती है। और उससे उत्पन्न उसकी निजी विचार संपदा भी। जो पाठक के लिए अमूल्य धरोहर बनती है। यद्यपि मिश्र जी ने अपने साहित्य के जरिए भाषा, धर्म, दर्शन, संस्कृति, कला, इतिहास, प्रकृति, पर्व आदि विषयों पर अपनी विशाल विचार संपदा हमें सौंपी है। लेकिन ऐसे विराट और समग्र दृष्टि संपन्न रचनाकार के पीछे छिपे मनुष्य को भी जानने-समझने की ललक उठती है। उनके अनुभवों को टटोलने और खोजने की इच्छा होती है। इन साक्षात्कारों के संकलन का उद्देश्य भी पंडित जी के जीवन से जुड़े छुए अनछुए पहलुओं को उजागर करना है। जो शायद लिखे नहीं जा सके, कहे नहीं जा सके।
Publication | Vani Prakashan |
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