जिप्सी - 'घुमक्कड़ों के जीवन अनुभवों को लिखने के लिए ठोस प्रमाण नहीं हैं। उनका मात्र इतिहास ही लिखा जा सकता है। 'जिप्सी' पुस्तक को पढ़ते हुए यह महसूस किया जा सकता है कि उनके जीवन के बारे में जानकारी देने के लिए बहुत कुछ है।'
इस यात्रा वृत्तान्त में गाना गाते, कहानियाँ कहते, कठपुतलियों के करतब दिखाते क़िस्म-क़िस्म के कलाकार हैं। गाँव-गाँव घूमते जीविका कमाने वाले जनपद कलाकार, भिक्षुक गायक भी हैं। बड़े-बड़े पहाड़, घने जंगल, पीछे भागते पशु व प्रकृति का मनोरम चित्रण भी दर्शनीय है। छोटे-छोटे बच्चे, पहाड़ की तलहटी में दूर छिटके गाँव यात्रा-वृत्तान्त का कलेवर है यही नहीं जिप्सियों के बारे में विस्तृत जानकारी, उनके स्वच्छन्द घुमन्तू जीवन को भी अध्ययन का विषय बनाया गया है।
विश्व व भारतवर्ष के ग्रामीण अंचलों की लाखों किलोमीटर की लम्बी पैदल यात्राओं के अनुभवों का संग्रह है 'जिप्सी'। 'वास्तविक आनन्द एवं सौन्दर्य भ्रमण में ही है' इसको चरितार्थ करता एम. आदिनारायण का यह यात्रा वृत्तान्त आशा है पाठकों के ज्ञानार्जन में सहायक सिद्ध होगा।
"एम. आदिनारायण -
शिक्षा : एम.ए., एम.एड., पीएच.डी.।
प्रकाशित पुस्तकें : भ्रमण कांक्षा (यात्रा वृत्तान्त), जिप्सीलू, स्त्री यात्रीकुलू (तेलुगु), डेकोरेटिव आर्ट्स ऑफ़ साउथ इंडिया।
पुरस्कार एवं सम्मान : सीनियर फ़ेलोशिप, अमेरिकन इन्स्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन स्टडीज़ बनारस, 1988; श्री गंगीरेड्डी गोल्ड मेडल, सर्वोत्तम रिसर्च, आन्ध्र यूनिवर्सिटी, 1993; येगल्ला रामकृष्णा लिटरेरी अवार्ड, मिशिगन यूनिवर्सिटी, यू.एस.ए., 2001
सेमीनार : नेशनल सेमीनार ऑन आर्ट, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नयी दिल्ली; आदिवासी लोक कला परिषद, भोपाल।
पैदल यात्राएँ : 10 पैदल यात्राएँ, भारत में 25,000 किलोमीटर (1990-1999)।