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गोम्मट्सार-कर्मकांठ (भाग-2)

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Gommatasara-Karmakanda (Part-2)
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गोम्मटसार 
जैन-धर्म के जीवतत्त्व और कर्मसिद्धान्त की विस्तार से व्याख्या करनेवाला महान् ग्रन्थ है 'गोम्मटसार'। आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती (दसवीं शताब्दी) ने इस वृहत्काय ग्रन्थ की रचना 'गोम्मटसार जीवकाण्ड' और 'गोम्मटसार कर्मकाण्ड' के रूप में की थी। डॉ. आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये और सिद्धान्तचार्य पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री ने सम्पादकत्व में यह ग्रन्थ भारतीय ज्ञानपीठ से सन् 1978-1981 में प्राकृत मूल गाथा, श्रीमत् केशववर्णी विरचित कर्णाट-वृत्ति जीवतत्त्व-प्रदीपिका संस्कृत टीका तथा हिन्दी अनुवाद एवं विस्तृत प्रस्तावना के साथ पहली बार चार वृहत् जिल्दों (गोम्मटसार जीवकाण्ड, भाग 1,2 और गोम्मटसार कर्मकाण्ड, भाग 1, 2) में प्रकाशित हुआ था। और अब जैन धर्म दर्शन के अध्येताओ एवं स्वाध्याय-प्रेमियों को समर्पित है ग्रन्थ का यह एक और नया संस्करण।

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Gommatasara-Karmakanda (Part-2)
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