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Bharatiya Jnanpith

Goura Gunwanti

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"गौरा गुनवन्ती' - 'गौरा गुनवन्ती' कथाकार-व्यंग्यकार सूर्यबाला का नया कहानी-संग्रह है। इस संग्रह की बारह कहानियाँ अलग-अलग पृष्ठभूमि में रची गयी हैं। कहानी में जिन रचनाकारों ने व्यंग्य का प्रमुखता से प्रयोग किया है, उनमें सूर्यबाला का नाम उल्लेखनीय है। सूर्यबाला परिवार और समाज के उन प्रश्नों/प्रसंगों को उठाती हैं जो परिचित होते हुए भी कई बार अपरिचित से बने रहते हैं। इन प्रश्नों/प्रसंगों को व्याख्यायित करते हुए सूर्यबाला अपने अनुभवों का रचनात्मक उपयोग करती हैं। सूर्यबाला की इन कहानियों में वे विचार और विमर्श सक्रिय हैं जो आज साहित्य के केन्द्र में हैं। उल्लेखनीय यह है कि सूर्यबाला के लिए रचना एक अनिवार्य प्राथमिकता है। इसीलिए ये कहानियाँ कथारस का सम्यक निर्वाह करते हुए पाठकों के भीतर विचार की एक ज्वलन्त लकीर खींच देती हैं। सूर्यबाला भाषा का बहुआयामी प्रयोग करना जानती हैं। व्यंग्य-विदग्ध भाषा तो उनकी पहचान है ही, अवसर आने पर गम्भीर अनुभवों को व्यक्त करने में भी वे सर्वथा सक्षम हैं। 'अठारह वर्ष बाद' कहानी में सूर्यबाला लिखती हैं, ""...अभी मैं भावना के जिस अविच्छिन्न प्रवाह में बह रही हूँ, तर्क और चिन्तन के कगार पर नहीं ठहर पाऊँगी, ममता सिर्फ़ समर्पित होती है। छोर-अछोर, दिग्देशान्तरों के असीम विस्तार तक फैली अतल गहरी अनुभूति है यह सार्वदेशिक, सार्वकालिक, सार्वभौम।"" भाषा की इन्हीं विविध छवियों से भरी 'गौरा गुनवन्ती' की कहानियाँ पाठकों को समकालीन यथार्थ से परिचित कराती हैं और उसके कई पक्षों के प्रति सचेत भी करती हैं। "
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9788126319428
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Bharatiya Jnanpith
Author: Suryabala
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Publication Bharatiya Jnanpith
सूर्यबाला (Suryabala)

"सूर्यबाला : 25 अक्टूबर, 1943 को वाराणसी में जन्मी और काशी विश्वविद्यालय में पीएच.डी. तक की शिक्षा पूर्ण करने वाली सूर्यबाला समकालीन कथा-लेखन में एक विशिष्ट और अलग अन्दाज़ के साथ उपस्थित हैं। यह अन्दाज़ मर्मज्ञ पाठकों के साथ उनकी आत्मीयता का है, जो दशक -दर- दशक निरन्तर प्रगाढ़ होती गयी है। 'धर्मयुग' में धारावाहिक प्रकाशित होने वाला उनका पहला उपन्यास मेरे सन्धिपत्र आज भी पाठकों की चहेती कृति है तथा अब तक का अन्तिम उपन्यास कौन देस को वासी... वेणु की डायरी अनवरत पाठकों की सराहना अर्जित कर रहा है। अपने छह उपन्यास, ग्यारह कथा-संग्रह, चार व्यंग्य-संग्रह तथा अलविदा अन्ना जैसी स्मृति-कथा और झगड़ा निपटारक दफ़्तर शीर्षक बाल हास्य उपन्यास की लेखिका सूर्यबाला तमाम साहित्यिक उठा-पटकों, विमर्शी घमासानों और बाज़ार की माँगों से निर्लिप्त रहकर चुपचाप लिखने वाली रचनाकार हैं। वैचारिक गहनता के बीचोबीच सहज संवेदना की पगडण्डी बना ले जाने में सूर्यबाला की कहानियाँ बेजोड़ हैं। जीवन के जटिल और बौद्धिक पक्षों को भी नितान्त खिलन्दड़े अन्दाज़ में बयान करती उनकी कहानियाँ अपनी मार्मिकता पर भी आँच नहीं आने देतीं । उपन्यास : ‘मेरे सन्धिपत्र’, ‘सुबह के इन्तज़ार तक’, ‘अग्निपंखी’, ‘दीक्षान्त’, ‘यामिनी कथा’ तथा ‘कौन देस को वासी... वेणु की डायरी’। कहानी-संग्रह : ‘बहनों का जलसा’, ‘एक इन्द्रधनुष जुबेदा के नाम’, ‘दिशाहीन’, ‘थाली भर चाँद’, ‘मुँडेर पर’, ‘गृहप्रवेश’, ‘साँझवाती’, ‘कात्यायनी संवाद’, ‘इक्कीस कहानियाँ’, ‘पाँच लम्बी कहानियाँ’, ‘मानुष-गन्ध’, ‘गौरा गुनवन्ती’, ‘छूटे हुए पृष्ठ’। व्यंग्य : ‘अजगर करे न चाकरी’, ‘धृतराष्ट्र टाइम्स’, ‘देश सेवा के अखाड़े में’, ‘भगवान ने कहा था’, ‘पत्नी और पुरस्कार’, ‘मेरी प्रिय व्यंग्य रचनाएँ’, ‘यह व्यंग्य कौ पन्थ’। संस्मरण : ‘अलविदा अन्ना’ (स्मृति-कथा), ‘बाल हास्य’ उपन्यास : ‘झगड़ा निपटारक दफ़्तर’। अंग्रेज़ी में अनूदित कथा-संग्रह : ‘द गर्ल विद अनशेड टियर्स’। अनेक कहानियों एवं व्यंग्य रचनाओं का रूपान्तर टी.वी. धारावाहिकों के माध्यम से प्रस्तुत। एक वर्ष तक 'जनसत्ता' के साप्ताहिक परिशिष्ट में 'वामा' शीर्षक से पाक्षिक स्तम्भ का लेखन। 'इंडियन क्लासिक' शृंखला (प्रसार भारती) के अन्तर्गत 2007 में 'सज़ायाफ़्ता' कहानी पर बनी टेलीफ़िल्म को दो पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ टेलीफ़िल्म एवं निर्देशन), जीवन्ती फ़ाउंडेशन (मुम्बई), सूत्रधार (इन्दौर) तथा राइटर्स एसोसिएशन, मुम्बई द्वारा लेखिका सूर्यबाला के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित सम्पूर्ण कार्यक्रम एवं साक्षात्कार। सम्मान/पुरस्कार : महाराष्ट्र साहित्य अकादमी का 'छत्रपति शिवाजी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार', भारतीय प्रसार परिषद् का ‘भारतीय गौरव सम्मान', महाराष्ट्र साहित्य हिन्दी अकादमी का 'सर्वोच्च जीवन गौरव पुरस्कार', ‘हरिवंशराय बच्चन साहित्य रत्न पुरस्कार', 'राष्ट्रीय शरद जोशी प्रतिष्ठा पुरस्कार', 'रवीन्द्रनाथ त्यागी शीर्ष सम्मान', अभियान संस्था द्वारा 'स्त्री शक्ति सम्मान' एवं महाराष्ट्र दिवस पर राज्यपाल द्वारा राजभवन में सम्मानित, ‘जे.सी. जोशी शब्द साधक शिखर सम्मान', 'नयी धारा' का 'उदयराज सिंह स्मृति शीर्ष सम्मान', उत्तर प्रदेश संस्थान का ‘सर्वोच्च भारत-भारती पुरस्कार' तथा के. के. बिडला फ़ाउंडेशन का 'व्यास सम्मान' आदि से सम्मानित । "

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