गुरु नानक देव - किसी राष्ट्र के निर्माण में महापुरुषों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। गुरुनानक देव इनमें से एक थे, जिन्होंने सिख धर्म की स्थापना की। यह पुस्तक गुरुनानक के बचपन से लेकर उनके देहावसान तक की यात्रा को बड़ी सरल और सटीक भाषा में अभिव्यक्त करती है। लेखक ने इस पुस्तक में गुरुनानक देव के जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं को बारीक़ी से समझा है और उनके मानवीय चरित्र को बड़ी ख़ूबी के साथ उद्घाटित किया है। गुरुनानक देव ने अपनी त्याग, तपस्या और ईश्वर भक्ति की जो परम्परा कायम की उससे लोग इतने प्रभावित हुए कि यह सबसे बड़ा पन्थ ही बन गया। इस विषय पर लेखक की शोधपूर्ण दृष्टि और बेबाक चरित्र चित्रण ने इस किताब को रोचक और पठनीय तो बनाया ही, उसके सारभूत अंशों की जानकारी देकर बच्चों तथा किशोरों के लिए अत्यन्त उपयोगी भी बना दिया है। लेखक की भाषा-शैली सहज और प्रवाहपूर्ण है, जिससे देश-विदेश के बच्चे इसे आसानी से समझ सकते हैं और गुरुनानक की जीवन-कथा को दिल में उतार सकते हैं। निश्चित ही यह बच्चों के लिए अत्यन्त पठनीय और संग्रहणीय किताब है।
"महेश दर्पण -
सुपरिचित कथाकार, हिन्दी कहानी के अध्येता और पत्रकार। अब तक सात कहानी संग्रह, दो लघुकथा संग्रह, एक यात्रा वृत्तान्त, एक आलोचना, एक जीवनी, पाँच बाल और नवसाक्षर पुस्तकें प्रकाशित। 'बीसवीं शताब्दी की हिन्दी कहानियाँ' के अतिरिक्त दस पुस्तकों का सम्पादन और दो विदेशी पुस्तकों का अनुवाद। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान, पुश्किन सम्मान, हिन्दी अकादमी द्वारा साहित्यकार सम्मान एवं कृति पुरस्कार, पीपुल्स विक्ट्री अवार्ड, नेपाली सम्मान, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस सम्मान, राजेन्द्र यादव सम्मान सहित अनेक सम्मान व पुरस्कार। रूसी, अंग्रेज़ी, नेपाली, कन्नड़ और पंजाबी सहित अनेक भारतीय भाषाओं में अनुवाद। सारिका, नवभारत टाइम्स, सान्ध्य टाइम्स के सम्पादकीय विभाग में चार दशक काम करने के बाद सम्प्रति स्वतन्त्र लेखन।
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