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Vani Prakashan

हॉफ़ सेट चाय और कुछ यूँ ही

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9789388434133
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प्रकाश अत्यन्त प्रतिभाशाली कवि और आलोचक थे जिनका दुर्भाग्य से 2016 में दुखद देहावसान हो गया। वे एक भाषा-सजग शिल्प-निपुण कवि और सजग-संवेदनशील आलोचक थे। रज़ा फ़ाउण्डेशन ने उनकी स्मृति में ‘प्रकाश-वृत्ति' स्थापित करने का निश्चय किया जिसके अन्तर्गत सुपात्र और सम्भावनाशील युवा कवियों और आलोचकों की पहली पुस्तकें प्रकाशित करने की योजना है। यह पुस्तक इसी वृत्ति के अन्तर्गत प्रकाशित अनौपचारिक गद्य की है। हिन्दी में औपचारिकता का ऐसा वर्चस्व सा है कि अनौपचारिक अक्सर जगह नहीं पाता। सदन झा का गद्य यहाँ से वहाँ सहज भाव से जाने की विधा है। हमें यह पुस्तक प्रस्तुत करते हुए प्रसन्नता है। -अशोक वाजपेयी

ISBN
9789388434133
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Vani Prakashan
Author: Sadan Jha
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Publication Vani Prakashan
सदन झा (Sadan Jha)

सदन झा

सदन झा ने इतिहास की पढ़ाई की है। उनकी दिलचस्पी दृश्य जगत के इतिहास में रही है, जिसमें प्रतीकों तथा राष्ट्रीय झंडा, चरखा और भारत माता के इतिहास एवं रंगों के बनते-बदलते सामाजिक सरोकार दिल के क़रीबी विषय रहे हैं। इसके अतिरिक्त पिछले कुछ वर्षों से सूरत शहर के नगरीय अनुभवों पर केन्द्रित शोध कर रहे हैं। इनके प्रकाशन हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में अकादमिक और ग़ैर-अकादमिक दोनों ही क़िस्म के रहे हैं जिनमें इनकी किताब ‘रेवरेंस, रेसिस्टेंस एंड पॉलिटिक्स ऑफ़ सीइंग इंडियन नेशनल फ़्लैग (कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, 2016) शामिल है। हाल ही में छोटी कहानियों की एक किताब ‘प्रकाश-वृत्ति’ के अन्तर्गत ‘हॉफ़ सेट चाय’ शीर्षक से प्रकाशित हुई है। 

सम्प्रति : सूरत स्थित सेंटर फ़ॉर सोशल स्टडीज़ में एसोशिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं।

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