हमारे लोकप्रिय गीतकार बेकल उत्साही
हमारे लोकप्रिय गीतकार बेकल उत्साही -
बेकल उत्साही एक ऐसे शख्स, ऐसे शायर, ऐसे गीतकार का नाम है जो हर दिल अजीज हैं जिन्हें काव्यमंचों पर बड़े शौक़ से सुना जाता है। मुशायरों कवि सम्मेलनों के माध्यम से वे लगभग दुनिया भर में अपना कलाम अपना काव्य पेश कर चुके हैं। यह भी सत्य है कि बेकल उत्साही उर्दू के होते हुए भी हिन्दी के अपने कवि गीतकार हैं। उनका नाम मुशायरों की सूची के साथ-साथ कवि सम्मेलनों में समान आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। सम्भवतः वे अकेले ऐसे शायर हैं, जिन्हें कवि सम्मेलनों के शौक़ीन श्रोता अपना ही गीतकार समझते हैं। उनके साथ कुछ और नामों पर ध्यान दें तो गुलज़ार, जावेद अख्तर, निदा फाज़ली, बशीर बद्र, मंज़र भोपाली को भी इस श्रेणी में लिया जा सकता है। फिर भी बेकल उत्साही हिन्दी के कुछ ज़्यादा ही इसलिए लगते हैं क्योंकि उनका नाम बेकल उत्साही है और उनके गीतों में हिन्दी प्रदेश की बू-वास, अवध की आंचलिकता और निपट खेतिहर अंदाज़ चहक-महक उठता है। –भूमिका से
श्री बेकल उत्साही हिन्दी के उन गिने चुने काव्य-शिल्पियों में से हैं, जिनकी रचनाएँ हृदय से निकलती हैं और हृदय में घर कर जाती हैं। भारत की मिट्टी के प्रति उनकी अटूट ममता, उस मिट्टी से निकली ज़िन्दगी के लिए उनका अपार मोह, उस ज़िन्दगी के आँसुओं और मुस्कानों को इस पूर्ण अभिव्यक्ति देने का उनका अथक प्रयास उन्हें सहज ही गीतकारों की प्रथम पंक्ति में प्रतिष्ठित कर देता है। –अटलबिहारी वाजपेयी
उनकी कविता में आज के उपेक्षित विकास से दूर उनके करीब गाँव की पुरवाई ढुमुक-ढुमुक कर नाचती है, खेत बाँहें उठाकर अंगड़ाई ले रहे हैं, गाँव के देवी-देवता फूलों की सेज पर सोते हैं, वन-उपवन से हरियाली फूटी पड़ रही है, यौवन में माती बयार बंसवारी में उधम मचाये हुए है, पेड़ों में पक्षी तथा नदियों में मछलियां चाँदी-सी चमकती दिखाई पड़ती हैं और बदरी सोना बरसाती है।
–डॉ. शिवनारायण शुक्ल