कवि का हिसाब उनकी हिस्सेदारी का भी उतना ही तीखा बखान होता है, जितना दूसरों की ज़िम्मेदारी और कोताही का । यह हिसाब होता है, फ़ैसला नहीं । कविता की नैतिकता ही है कि उसे देखने, बखान करने, हिस्सा लेने, सहमत - असहमत आदि होने का तो हक़ है पर फ़ैसला देने का नहीं । जो कविता फ़ैसला देने की मुद्रा में आती है अकसर खोखली और झूठी लगती है। अपने लम्बे कवि जीवन में कैलाश वाजपेयी को कविता की इस स्थिति का लगातार, कई बार कठिन और तीख़ा, कई बार उदास और निराश अहसास था । उन्होंने अपनी शुरुआत संसार में सुन्दरता और लालित्य की खोज से की थी। यह खोज जल्दी ही सच्चाई के क्रूर आघातों से डगमगा गयी। उन्हें जल्दी ही पता चल गया कि हमारी दुनिया में हिंसा, निर्दयता, क्रूरता आदि इतने व्यापक और दैनन्दिन हो गये हैं कि उन्हें नज़रअन्दाज़ करना कविता के लिए सम्भव नहीं रहा। वे एक उग्र-क्षुब्ध कवि के रूप में उभरे जिनके यहाँ 'शिला की तरह गिरी है स्वतन्त्रता ।'
कैलाश वाजपेयी ने नयी कविता के दौर में कविता + लिखना शुरू किया था और उसकी एक वृत्ति अर्थक प्रश्नवाचकता उनकी कविता में तभी से घर कर गयी। आरम्भिक गीतपरकता में वह लगभग अतः सलिल रही। लेकिन बाद में वह लगातार सक्रिय रही है। इन अन्तिम कविताओं में उस असंदिग्ध प्रश्नाकुलता भीतर और बाहर, आत्म और पर, कवि और समाज, दोनों को लेकर होती है।
कैलाश जी के दिवंगत होने के बाद उनकी अप्रकाशित कविताओं का यह संकलन पाठकों को समर्पित है।
"कैलाश वाजपेयी -
जन्म: 11 नवम्बर, 1936, उत्तर प्रदेश।
शिक्षा: लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए., पीएच. डी.।
सन् 1960 मुम्बई में, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, ग्रुप की पत्रिका 'सारिका' के प्रकाशन प्रभारी। 1961 में शिवाजी कॉलेज (दिल्ली) में विभागाध्यक्ष पद पर नियुक्ति। 1973 से 1976 तक 'एल कालेजियो दे मेख़िको' में भारतीय संस्कृति हिन्दी भाषा एवं साहित्य के विज़िटिंग प्रोफ़ेसर। 1976-77 में अमेरिका के डैलेस विश्वविद्यालय में एडजंक्ट प्रोफ़ेसर।
प्रकाशन: 'आधुनिक हिन्दी कविता में शिल्प' (शोध प्रबन्ध)। 'संक्रान्त', 'देहान्त से हटकर', 'तीसरा अँधेरा', 'महास्वप्न का मध्यान्तर', 'प्रतिनिधि कविताएँ', 'सूफ़ीनामा', 'भविष्य घट रहा है', 'हवा में हस्ताक्षर', 'बियांड द सेल्फ़', 'चुनी हुई कविताएँ', 'एल आरबोल दे कार्ने' (स्पहानी भाषा में) (कविता संग्रह)। 'डूबा-सा अनडूबा तारा' (एक काव्यात्मक आख्यान)। 'युवा संन्यासी' (नाटक)। 'पृथ्वी का कृष्णपक्ष' (प्रबन्ध काव्य)। 'अनहद', 'शब्द संसार', 'समाज दर्शन और आदमी', 'है कुछ, दीखे और' (निबन्ध संग्रह)। 'भीतर भी ईश्वर' (आख्यायिकाएँ)। 'आधुनिकता का उत्तरोत्तर' (आलोचना)। 'साइंस ऑफ़ मन्त्राज़', 'मन्त्राज़ पालाबराज़ दे पोदेर' (रहस्य विज्ञान)। 'एस्ट्रो कॉम्बिनेशंस' (खगोलशास्त्र)। छह पुस्तकों का सम्पादन।
पुरस्कार/सम्मान: हिन्दी अकादमी दिल्ली, एस. एस. मिलिनियम अवार्ड, व्यास सम्मान, ह्यूमन केयर ट्रस्ट अवार्ड, साहित्य शिखर सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कार। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम के अन्तर्गत रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडेन, इटली अमेरिका, कनाडा आदि देशों की यात्रा।
निधन: 1 अप्रैल 2015।
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