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Vani Prakashan

Himachal (2 Volume Set)

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"महापण्डित राहुल सांकृत्यायन की अनन्त इच्छा-शक्ति और अनथक परिश्रम का एक और अद्वितीय प्रतिफल है दो खण्डों में प्रकाशित उनका यह यात्रा-वृत्तान्त 'हिमाचल' । साहित्य-प्रेमी पाठकों के लिए ऐतिहासिक महत्त्व की यह पुस्तक पहली बार प्रकाशित हो रही है और इसके प्रकाशन का मूल्य - महत्त्व इसलिए और भी अधिक है कि महापण्डित राहुल के जन्मशती वर्ष में प्रकाशित होने वाले साहित्य में सम्भवतः यह एकमात्र मौलिक सम्पूर्ण ग्रन्थ है, जो पाठकों को पहली बार उपलब्ध हो रहा है। राहुल जी के इस यात्रा-वृत्तान्त में समग्र हिमाचल प्रान्तर के इतिहास, भूगोल, पुरातत्त्व, धर्म, संस्कृति तथा वहाँ के सामाजिक-आर्थिक परिवेश, लोकजीवन और वनों, पहाड़ों आदि का ऐसा प्रामाणिक और सघन वर्णन है जो, निस्सन्देह, अन्यत्र दुर्लभ है। शायद बहुरंगी हिमाचल की इतनी चैतन्य सांस्कृतिक परिक्रमा राहुल के ही वश की बात थी। विराट् फलक पर इस अद्भुत मनोहारी हिमाचल यात्राकथा को महापण्डित ने बड़े मनोयोग से जिया, भोगा और लिखा है। विश्वास है, हिन्दी का पाठक-समाज राहुल जी के इस अनुपम अवदान का स्वागत करेगा।"
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9789350000694
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राहुल सांकृत्यायन (Rahul Sankrityayan)

"राहुल सांकृत्यायन - जन्म : 9 अप्रैल, 1893 मूर्धन्य और अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान राहुल सांकृत्यायन साधु थे, बौद्ध भिक्षु थे, यायावर थे, इतिहासकार और पुरातत्त्ववेत्ता थे; नाटककार और कथाकार थे और थे जुझारू स्वतन्त्रता सेनानी, किसान-नेता, जन-जन के प्रिय नेता। उनके अनन्य मित्र भदन्त आनन्द कौसल्यायन के शब्दों में- उन्होंने जब जो कुछ सोचा, जब जो कुछ माना, वही लिखा, निर्भय होकर लिखा। चिन्तन के स्तर पर राहुल जी कभी भी न किसी साम्प्रदायिक विचार - सरणी से बँधे रहे और न संगठित सरणी से । वह 'साधु न चले जमात' जाति के साधु पुरुष थे। राहुल जी ने धर्म, संस्कृति, दर्शन, विज्ञान, समाज, राजनीति, इतिहास, पुरातत्त्व, भाषाशास्त्र, संस्कृत ग्रन्थों की टीकाएँ, अनुवाद और इसके साथ-साथ रचनात्मक लेखन करके हिन्दी को इतना कुछ दिया कि हम सदियों तक उस पर गर्व कर सकते हैं। उन्होंने जीवनियाँ और संस्मरण भी लिखे और अपनी आत्मकथा भी। अनेक दुर्लभ पाण्डुलिपियों की खोज और संग्रहण के लिए व्यापक भ्रमण भी किया। निधन : अप्रैल, 1963

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