हिन्दी अंग्रेज़ी कहावत कोश - 'कहावत' का जन्म मुहावरे की भाँति लोकमानस से होता है। यह जन-वाणी का ही नहीं, बल्कि शिष्ट-भाषा का भी श्रृंगार होती है। यही कारण है कि विद्यार्थियों को बचपन से लेकर किशोरावस्था तक कहावतें सिखायी जाती हैं, जिनका प्रमाण देश-विदेश के स्कूलों तथा कॉलेजों के पाठ्यक्रमों से मिलता है। कहावतें लक्ष्णा-शक्ति से सम्पन्न होती हैं। कहीं जीवन के कटु एवं मधुर अनुभव, कहीं संसार की रहस्यमयी दार्शनिकता, कहीं उपदेशात्मक अंश, कहीं देश-विदेश के सांस्कृतिक चिन्ह और कहीं असम्भव को बातों ही बातों में सम्भव कर दिखाने की कारीगरी कहावतों के भीतर लुकी-छिपी रहती हैं। यही बहुविध आकर्षक तत्व वास्तव में 'बोलने वाले की बात' की गरिमा को बढ़ा देते हैं और 'कहावत' के संस्कृत पर्याय 'लोकोक्ति' (Proverb) की सार्थकता सिद्ध कर दिखाते हैं।
"डॉ. ब्रजमोहन -
गणितज्ञ होते हुए भी हिन्दी भाषा और उसके व्याकरण के विकास में सक्रिय योगदान के लिए समादृत विद्वान।
स्कूली शिक्षा मुरादाबाद (उ.प्र.) में एम.ए., एलएल.बी. करने के बाद सन् 1994 में इंग्लैंड से पीएच.डी. की उपाधि। तत्पश्चात काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति। वहीं, हिन्दी भाषा और व्याकरण पर कार्य करने का संकल्प और उसे पूरा करने की दिशा में लगातार अध्यवसाय।
हिन्दी की विशिष्ट सेवा के लिए उत्तर प्रदेश राजकीय पुरस्कार से सम्मानित। सेंट्रल हिन्दू कॉलेज, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में गणित विभाग के अध्यक्ष और फिर प्राचार्य रहे।
वर्ष 1990 में देहावसान।
प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : गणितीय कोश, गणित का इतिहास, अर्थ-विज्ञान, अवकलन गणित, मायावर्ग, चिह्न विज्ञान उत्पादन और सांस्कृतिक सन्दर्भ की प्रकृति और शुद्ध प्रयोग, विशेषण-प्रयोग, किस्सा एक से एक, भाषा और व्यवाणित व्यामिति, शुद्ध गणित की पाठचयाँ, रूपान्तर कलन, अंग्रेज़ी-हिन्दी वैज्ञानिक कोश (खण्ड : 1-2), नागरी लिपि : रूप और सुधार, शब्द-चर्चा, मानक हिन्दी आदि।
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