Publisher:
Vani Prakashan

हिन्दी ग़ज़ल : व्यापकता और विस्तार

In stock
Only %1 left
SKU
9789369444045
Rating:
0%
As low as ₹636.00 Regular Price ₹795.00
Save 20%
"ज्ञानप्रकाश विवेक प्रयोगधर्मी रचनाकार और ग़ज़ल आलोचक हैं। इस पुस्तक में उन्होंने परम्परागत आलोचना से भिन्न एक नया ‘आलोचना मिज़ाज' स्थापित किया है। नये ग़ज़ल आलोचना के उपकरण और नयी दृष्टि ईजाद की है । उन्होंने नये विमर्शों के ज़रिये, हिन्दी ग़ज़ल का न सिर्फ़ आकलन किया है बल्कि नये विमर्शों की समझ और सलाहियत भी अनूठे अन्दाज़ में व्यक्त की है। इस नयी आलोचकीय दृष्टि ने, हिन्दी ग़ज़ल को, बिल्कुल मुख्तलिफ़ अन्दाज़ में, देखने, परखने और महसूस करने का अवसर प्रदान किया है। बदलता हुआ समय और समाज चर्चा तलब है तो नये विमर्श भी चर्चा के केन्द्र में हैं। कहानी, उपन्यास और कविता को नये विमर्शों ने बहस तलब बनाया है तो हिन्दी ग़ज़ल भी बहस के केन्द्र में है। और नयी ग़ज़ल आलोचना, जिसके उपकरण ज्ञानप्रकाश ने तैयार किये हैं, हिन्दी ग़ज़ल को नयी शक्ति और संचेतना प्रदान करते हैं। अन्य भाषाओं में लिखी जा रही ग़ज़लों पर भी इस पुस्तक में संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित चर्चा है। हिन्दी ग़ज़ल पर यह अद्भुत, बल्कि चकित कर देनेवाली आलोचना पुस्तक है जो नयी ‘आलोचना भाषा' और शैली में लिखी गयी है। "
ISBN
9789369444045
Publisher:
Vani Prakashan
More Information
Publication Vani Prakashan
ज्ञानप्रकाश विवेक (ज्ञानप्रकाश विवेक )

"ज्ञानप्रकाश विवेक जन्म : 30 जनवरी, 1949 (बहादुरगढ़ में)। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद पूर्णकालिक लेखनI प्रकाशित पुस्तकें : उपन्यास : गली नम्बर तेरह (1998), अस्तित्व (2005), दिल्ली दरवाज़ा (2006), आखेट (2009), चाय का दूसरा कप (2010), तलघर (2012), डरी हुई लड़की (2017 ), नयी दिल्ली एक्सप्रेस (2019), व्हीलचेयर (2023); कहानी-संग्रह : अलग-अलग दिशाएँ (1983), जोसफ़ चला गया (1986), शहर गवाह है (1989), पिताजी चुप रहते हैं (1991), उसकी ज़मीन (1993), इक्कीस कहानियाँ (2001), शिकारगाह (2003), सेवानगर कहाँ है (2007), मुसाफ़िरख़ाना (2007), बदली हुई दुनिया (2009), कालखण्ड (2015), छोटी-सी दुनिया तथा अन्य कहानियाँ ( 2024 ); ग़ज़ल - संग्रह : धूप के हस्ताक्षर (1984), आँखों में आसमान (1990), इस मुश्किल वक़्त में (1996), गुफ़्तगू अवाम से है (2008), घाट हज़ारों इस दरिया के (2018), दरवाज़े पर दस्तक (2019), काग़ज़ी छतरियाँ बनाता हूँ (2021); कविता-संग्रह : दरार से झाँकती रोशनी; आलोचना : हिन्दी ग़ज़ल की विकास यात्रा (2006), हिन्दी ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद (2014), हिन्दी ग़ज़ल की नयी चेतना (2018 )। फ़िल्म का नाट्य रूपान्तर : 'क़ैद' कहानी पर जनसिनेमा द्वारा फ़िल्म का निर्माण। शिमला दूरदर्शन द्वारा 'मोड़' तथा 'बेदखल' कहानियों पर लघु फ़िल्म का निर्माण। ‘शिकारगाह' कहानी, क्लासिक कहानियों की शृंखला में, दूरदर्शन वाराणसी द्वारा फ़िल्मांकन। 'पापा तुम कहाँ हो' कहानी का नाट्य मंचन। संकेत रंग टोली द्वारा, चाय का दूसरा कप उपन्यास का रेडियो नाटक प्रसारण, नैशनल चैनल दिल्ली। सम्मान : हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा तीन बार 'कृति सम्मान'। 'बाबू बालमुकुन्द गुप्त सम्मान' (2009)। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ' आजीवन साहित्य सेवा सम्मान' (2021)। राजस्थान पत्रिका द्वारा वर्ष 2000 का 'सर्वश्रेष्ठ कहानी सम्मान'। 'इन्दु शर्मा अन्तरराष्ट्रीय कथा सम्मान' (कथा सम्मान यूके) डरी हुई लड़की वर्ष 2021। "

Write Your Own Review
You're reviewing:हिन्दी ग़ज़ल : व्यापकता और विस्तार
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

डिज़ाइन और विकास: Octagon Technologies LLP