वस्तुतः यह पुस्तक हिन्दी साहित्येतिहास के कतिपय महत्त्वपूर्ण पर उपेक्षित मोड़ों का पुनराख्यान है। पन्द्रह आलेखों द्वारा कहीं लोक-ग्राह्यता का परीक्षण है, कहीं स्त्री एवं दलित चेतना के विकास की प्रारम्भिक पृष्ठभूमि की खोज है तो कहीं प्रासंगिकता की परख का प्रयास है। यदि बच्चन के काव्य में अनुभूत संघर्ष के गान का विवेचन है तो दूसरी ओर हिन्दी कथा-साहित्य के विकास और परिवर्तन तथा समाजशास्त्रीय आलोचना-दृष्टि के विकास में क्रमशः अज्ञेय एवं रामविलास शर्मा के अवदान और महत्त्व का निरूपण, पन्त की कविताओं का शैली-वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर विवेचन एवं धूमिल के काव्यभाषा की खोज भी ग्रन्थ के उपादेय पक्ष हैं। ‘साहित्य का समाजशास्त्र' एवं 'साहित्येतिहास लेखन की समस्याएँ' ऐसे आलेख हैं जिनसे पुस्तक-लेखक की दृष्टि का परिचय मिलता है। लेखक यहीं नहीं रुकता, वह इक्कीसवीं सदी के प्रथम दशक के रचनात्मक साहित्य को भी निरखता-परखता है। यद्यपि सभी आलेख अलग-अलग हैं, किन्तु कहीं-न-कहीं एक-दूसरे से जुड़े हुए भी हैं। निस्सन्देह। यह पुस्तक साहित्येतिहास के अनेक ज्वलन्त प्रश्नों का समाधान अपने में समेटे है।
"प्रो. राजमणि शर्मा -
2 नवम्बर, 1940 को लम्भुआ, सुल्तानपुर (उ.प्र.) गाँव की माटी में जन्म ।
प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा के पश्चात् काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी), भाषा विज्ञान में द्विवर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा एवं पीएच.डी. (हिन्दी) । कृतकार्य आचार्य, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ।
सम्प्रतिः स्वतन्त्र लेखन, व्याख्यान ।
आदिकालीन, आधुनिक तथा समकालीन हिन्दी साहित्य, भाषा-बोली-अध्ययन, अनुवाद विज्ञान, कोश, विज्ञान, जनसंचार माध्यम, कम्प्यूटर और अनुप्रयुक्त हिन्दी में विशेषज्ञता ।
'प्रसाद का गद्य-साहित्य', 'आधुनिक भाषा विज्ञान', 'हिन्दी भाषा : इतिहास और स्वरूप', 'भारतीय प्राणधारा का स्वाभाविक विकास : हिन्दी कविता', 'मेरो मन अनत कहाँ सुख पायो', 'दलित चेतना की कहानियाँ : बदलती परिभाषाएँ' (वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली), 'काव्य भाषा : रचनात्मक सरोकार', 'बलिया का विरवा : काशी की माटी', 'अनुवाद विज्ञान : प्रायोगिक सन्दर्भ', 'अनुवाद विज्ञान' ।
काव्यभाषा : रचनात्मक सरोकार उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल नामित समीक्षा पुरस्कार से पुरस्कृत ।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा समस्त भारत के
स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए हिन्दी पाठ्यक्रम निर्मिति हेतु गठित पाठ्यक्रम विकास केन्द्र का संयोजक एवं संयुक्त समन्वयक । पाठ्यक्रम स्वीकृत/प्रचारित । हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं, भाषा विज्ञान, अनुवाद विज्ञान और हिन्दी की स्थिति-परिस्थिति एवं भविष्य, हिन्दी अनुप्रयोग पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान आलेख ।
सम्पर्क : चाणक्यपुरी, सुसुवाही, वाराणसी-221005"