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हिन्दी टंकण सिद्धान्त

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हिन्दी टंकण सिद्धान्त - 
सरकारी कामकाज में हिन्दी को काफ़ी बढ़ावा दिया गया है। कार्यालयों में हिन्दी के कामकाज में टंकण की आवश्यकता बढ़ी है। टंकण कला अपने उद्भव के समय से ही लोकप्रिय रही है। लेकिन पिछले छः दशकों में इसमें काफ़ी विकास हुआ है। वैसे प्रारम्भ तो इसका अंग्रेज़ी-टंकण के माध्यम से हुआ लेकिन हिन्दी के बिना यह कला अधूरी महसूस की गयी। इस कला का प्रशिक्षण अब विश्व-विद्यालय की कक्षाओं में भी प्रारम्भ हो चुका है। जो आगामी पीढ़ियों को बेरोज़गारी से निजात दिलाने में सहायक सिद्ध होगी।

लेखक ने 'हिन्दी टंकण सिद्धांत' में जिन सिद्धांतों को सरल और सुबोध भाषा में व्यक्त किया है वह युवक-युवतियों के लिए बड़ी उपयोग की सामग्री है। एक अत्यन्त पठनीय एवं संग्रहणीय पुस्तक।

ISBN
9788170555513
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Vani Prakashan
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Publication Vani Prakashan
रूपचन्द गौतम (Roop Chand Gautam)

" रूपचन्द गौतम - जन्म स्थान : धोरा (बलन्दशहर) उ.प्र. शिक्षा : आई.जी.डी. बॉम्बे, एम.ए. हिन्दी. आई.टी.आई. (हिन्दी आशुलिपि) टाइप शॉर्टहैंड में लेखन कार्य : नवभारत टाइम्स, जनसत्ता राष्ट्रीय सहारा, कुबेर टाइम्स, जलते दीप, लोक विकास के आयाम पिपुल्स विक्टरी सेन्टिनल प्रभात ख़बर नई दुनिया समय सरोकार नारी सवांद, अगुत्तर। पुस्तक के रूप में सर्वोदय आशुलिपि वाणी : प्रकाशन नयी दिल्ली, हिन्दी टंकण सिद्धांत वाणी प्रकाशन नयी दिल्ली। परिक्षक : दिल्ली विश्वविद्यालय केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड। "

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