भारतीय संस्कृति तथा दर्शन-विशेष रूप से हिंदू दर्शन के मनीषी चिंतक और विचारक डॉ. कर्ण सिंह की यह पुस्तक समकालीन समाज से गहरा सरोकार रखती है और चिंतन के कई नए आयामों को उजागर करती है ।
बिना किसी पूर्वाग्रह के डॉ. कर्ण सिंह ने भगवद्गीता और उपनिषदों के माध्यम से हिंदू दर्शन की मौलिकता का गंभीर विवेचन किया है । उनका मानना है कि हिंदू धर्म-दर्शन कोई संप्रदाय नहीं है; यह सर्वव्यापी और अलौकिक सत्ता से साक्षात्कार की जीवंत प्रक्रिया है । दरअसल, यह एक ऐसा जीवन-दर्शन है जो मनुष्य और मनुष्य के बीच की आनुवांशिक एवं भौगोलिक सीमाओं को नकारते हुए उसकी सार्वभौमिकता को प्रतिष्ठित करता है ।
उल्लेखनीय है कि डॉ. कर्ण सिंह ने हिंदू सार्वभौमिकता पर चर्चा ऐसे समय छेड़ी है जब समूचा विश्व एक भयावह संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। उनकी मान्यता है कि हिंदू धर्म-दर्शन पर अब तक किए गए चिंतन को व्यावहारिक रूप देने से आज की विकट त्रासदी से मुक्ति पाने के साथ ही वसुधैव कुटुंबकम् की भावना भी सार्थक हो सकती है।
पुस्तक के अंत में 'मुंडक उपनिषद्' का अनुवाद और उसका अध्ययन - विवेचन पाठकों के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि होगी ।
"डॉ. कर्ण सिंह -
प्रख्यात अन्तरराष्ट्रीय चिंतक, लेखक और कवि तथा भारतीय दर्शन एवं संस्कृति के मनीषी अध्येता डॉ. कर्ण सिंह का जन्म 9 मार्च, 1931 को कश्मीर में हुआ। उन्होंने एम.ए., पीएच. डी. तक शिक्षा प्राप्त की, साथ ही श्री अरविन्द दर्शन और साहित्य का विशेष अध्ययन। अँग्रेज़ी, हिंदी और डोगरी भाषाओं में लेखन ।
सम्प्रति : जवाहरलाल नेहरू स्मारक कोष के उपाध्यक्ष; अध्यक्ष : टेंपल ऑफ अंडरस्टैंडिंग; पीपल्स कमीशन ऑन एन्वायरनमेंट ऐंड डेवलपमेंट (इंडिया); विराट् हिंदू समाज। भारतीय सेना में मेजर जनरल का मानद पद । इंटरनेशनल सेंटर फॉर साइंस, कल्चर ऐंड कांशसनेस आदि अनेक संस्थाओं और न्यासों के संस्थापक । ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रवर परिषद् के अध्यक्ष । भूतपूर्व : जम्मू और कश्मीर के महाराजा तथा 'सदरे रियासत'; जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय तथा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति; केंद्रीय संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष; भारतीय लेखक संघ, कॉमनवेल्थ सोसायटी ऑफ इंडिया, दिल्ली म्यूज़िक सोसायटी, और इंडियन बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ़ के सभापति; भारत सरकार में अनेक वर्षों तक कैबिनेट मंत्री । संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के राजदूत । बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, सोका विश्वविद्यालय आदि से मानद 'डॉक्टरेट' आदि सम्मान से अलंकृत ।
प्रकाशन : अब तक ‘वैरीड रिम्स', 'पॉपुलेशन, पावर्टी ऐंड फ्यूचर ऑफ इंडिया', 'ह्यूमैनिटी ऐट द क्रॉसरोड्स’, ‘ऑटोबायोग्रॉफी' आदि अठारह पुस्तकें प्रकाशित ।
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