Publisher:
Bharatiya Jnanpith

Huzur-E-Aala

In stock
Only %1 left
SKU
9789326354523
Rating:
0%
As low as ₹209.00 Regular Price ₹220.00
Save 5%

हुज़ूर-ए-आला - 
मन में आये सो करते हुए राजासाब का धर्म पालन कार्यक्रम बम्बई में भी जारी रहता। शराब पीते तो ध्यान रखते कि सर्व करने वाला या वाली मुसलमान तो नहीं और अगर मुसलमान होता होती तो बोतल पर, पैग पर गंगाजल छिड़का जाता। यही पुनीत परम्परा भोजन के समय भी निभायी जाती। मटन-चिकन आदि अगर मुसलमान ख़ानसामे ने बनाया या किसी मुसलमान ने सर्व किया है, तो प्लेट पर गंगाजल छिड़कने के बाद ही राजासाब उसे छूते। सुना जाता है, जब राजा विजयसिंग बबली पर जान छिड़कने लगे, तब एक बार बबली के अनुरोध पर और शायद गंगाजल का स्टॉक ख़त्म हो जाने के कारण उन्होंने इस परम्परा का उल्लंघन किया।
गंगाजल का स्टॉक समाप्त होने की जानकारी ग़लत है, क्योंकि नियम यह था कि गंगाजली में से जितना पानी उपयोग के लिए निकाला जाता, उतना ही सादा पानी उसमें डाल दिया जाता। इस प्रकार मिश्रित कहें या होम्योपैथिक डोज कहें, गंगाजल का अंश उस पानी में सदा बना रहता।
यहाँ विषयान्तर बल्कि सपने का विश्लेषण करते हुए अवनि शुक्ला ने लिखा है—और सब तो ठीक है, पर जब भी लोग स्वर्ग का सपना देखते हैं, तो वहाँ उन्हें हीरे-जवाहरात के ढेर क्यों दिखाई देते हैं? सोना और जवाहरात स्वर्ग के किसी फर्नीचर पर चिपके दिखें, दीवारें सोने से मढ़ी हों और उन पर हीरे-मोती से कलात्मक डिज़ाइन बनायी जाय तो उसे सपने की भव्यता से जोड़ा जा सकता है, लेकिन स्वर्ग की ज़मीन पर जवाहरात के ढेर पटके रखना, यह तो स्वप्न की भी फिज़ूलख़र्ची है और स्वर्ग की भी। पर क्या करें, लोग ऐसा ही सपना देखते हैं।

ISBN
9789326354523
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
शिव शर्मा (Shiv Sharma )

"शिव शर्मा - 25 दिसम्बर, 1938 को राजगढ़ नामक एक छोटी सी रियासत में जन्म कर्मस्थली उन्जैन। यहीं प्राचीन माधव कॉलेज में अध्यापन एवं प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त। 70 के दशक से व्यंग्य लेखन में सक्रिय। व्यंग्यकार के रूप में अभी तक दर्जन भर से अधिक पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें व्यंग्य संकलन, एकांकी एवं एक उपन्यास शामिल है। हास्य-व्यंग्य के प्रसिद्ध आयोजन अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन का 43 वर्षों से संचालन। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्वतन्त्रता की 50वीं वर्षगाँठ पर 'जंगे आज़ादी में ग्वालियर-इन्दौर' विषय पर शोध-ग्रन्थ प्रकाशित।

Write Your Own Review
You're reviewing:Huzur-E-Aala
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/