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जगदीपजी की उत्तरकथा

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"जगदीपजी की उत्तरकथा - राजेन्द्र लहरिया का उपन्यास 'जगदीपजी की उत्तरकथा' हमारे समय की एक मार्मिक कथा है। जगदीपजी गृहस्थी को आगे बढ़ाते हुए लगातार खटते रहते हैं। रिश्तों की किताब में जगदीपजी के इस संघर्ष और त्याग पर कोई पन्ना अलग से नहीं जुड़ता। नाक की सीध में बढ़ने को ही प्रगति मानने वाले अपने बेटे दिवाकर से जगदीपजी कहते हैं, ""क्या मुझमें और किसी अजनबी में तुम्हारे लिए कोई फ़र्क़ ही नहीं होगा?"" ...विडम्बना यह कि अपनी उत्तरकथा में जगदीपजी अजनबी बनकर रह जाते हैं। पत्नी और बच्चों के मन में 'सुख' की जो परिभाषा है, वह जगदीपजी के लिए अजानी है। ...एक दिन जगदीपजी के सारे जीवन संघर्ष को धकिया कर दिवाकर छोटे भाई शुभंकर और माँ के साथ नयी जगह बसने चला जाता है। ""जगदीपजी देखते रह गये थे— अकेले, अवाक्।"" एक ईमानदार, संवेदनशील और सिद्धान्तप्रिय आदमी का अकेला और अवाक् रह जाना हमारे समय की एक विडम्बना है, जिसे राजेन्द्र लहरिया ने ‘जगदीपजी की उत्तरकथा' में समर्थ भाषा के द्वारा व्यंजित किया है। बेहद पठनीय उपन्यास। "
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9788126319305
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Bharatiya Jnanpith
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Publication Bharatiya Jnanpith
राजेन्द्र लहरिया (Rajendra Lahariya)

"राजेन्द्र लहरिया -जन्म : 18 सितम्बर, 1955 ई. को, मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले के सुपावली गाँव में।शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिन्दी साहित्य) ।प्रकाशित कृतियाँ : कहानी-संग्रह : आदमी बाज़ार(1995), यहाँ कुछ लोग थे (2003), बरअक्स (2005), युद्धकाल (2008), सियासत (तीन आख्यान) (2018);लघु उपन्यास : राक्षसगाथा (1995), जगदीपजी की उत्तरकथा (2010), यक्षप्रश्न-त्रासान्त (2015), अग्नि-बीज (2018), अन्धकूप (2019); उपन्यास : आलाप-विलाप (2011), यातनाघर (2015), लोकलीला (2017), समय-रथ के घोड़े (2019), द डार्क थियेटर (2021);आत्म-आख्यान : मेरी लेखकीय अन्तर्यात्रा (2016);कथा-संचयन : राजेन्द्र लहरिया की चुनिन्दा-चर्चित कहानियाँ (2022), चुनिन्दा कहानियाँ (2023) ।बीसवीं शताब्दी के नौवें दशक में कथा-लेखन की शुरुआत करने वाले प्रमुख कथाकारों में शुमार। तब से अद्यावधि निरन्तर रचनारत • हिन्दी साहित्य की प्रायः सभी महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित अनेक कहानियाँ महत्त्वपूर्ण कहानी-संकलनों में संकलित कई कथा-रचनाओं का मलयालम, उर्दू, ओड़िया, मराठी, पंजाबी आदि भारतीय भाषाओं एवं अँग्रेज़ी भाषा में अनुवाद लेखन के साथ-साथ, गाहेबगाहे चित्रांकन भी करते हैं। ई-मेल : lahariya_rajendra@yahoo.com"

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