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जैनधर्म में वर्षायोग

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Jain Dharama Mein Varshayog
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जैनधर्म में वर्षायोग
वर्षायोग के बारे में शास्त्रों में अनेक स्थानों पर छिटपुट सामग्री उपलब्ध होती है परन्तु साधुओं के चातुर्मास की स्थापना एवं विसर्जन के बारे में तथा उसकी कालावधि के बारे में वर्तमान में शास्त्रोक्त कोई मौलिक आलेख या पुस्तक नहीं थी। अनेक बार साधु आपस में चर्चा करते देखे जाते हैं कि इस विषय में कोई आगमोक्त मौलिक पुस्तक होना चाहिए। इस सन्दर्भ में उपाध्याय प्रज्ञसागर जी महाराज ने बहुत ही सुन्दर, सुगम और सबके लिए समझने योग्य एक मौलिक पुस्तक की रचना की है, जो सबके लिए उपयोगी व महत्त्वपूर्ण है। इस कृति का मैंने आद्योपान्त अवलोकन किया जो कि शास्त्रोक्त है। इसमें मूलाचार, भगवती आराधना, अनगार धर्मामृत, आचारसार, चारित्रसार आदि आर्ष परम्परा के अनेक ग्रन्थों के सप्रमाण सन्दर्भसहित उल्लेखों के साथ प्राञ्जल भाषा में 'वर्षायोग' का वर्णन किया है। यह रचना पठनीय सामग्री से समृद्ध है। यह कृति प्रत्येक त्यागी वर्ग एवं चतुर्विध संघ के करकमलों में पहुँचे और सभी को इसका उत्तम लाभ मिले- ये हमारी मंगल भावना है।
- ऐलाचार्य श्रुतसागर मुनि

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