जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश (भाग-2)
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
'जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश' शब्द-कोश तथा विश्व-कोशों की परम्परा में एक अपूर्व एवं विशिष्ट कृति है। इसमें जैन तत्त्वज्ञान, आचारशास्त्र, कर्मसिद्धान्त, भूगोल, पौराणिक चरित्र एवं ऐतिहासिक व्यक्ति, राजपुरुष तथा राजवंश, आगमशास्त्र व शास्त्रकार, धार्मिक तथा दार्शनिक सम्प्रदाय आदि अनेक विषयों से सम्बन्धित छह हजार से अधिक शब्दों का सांगोपांग विवेचन किया गया है। इसकी महत्ता और उपयोगिता इसलिए और भी बढ़ जाती है कि यह विवेचन संस्कृत, प्राकृत एवं अपभ्रंश भाषा में लिखित प्राचीन जैन साहित्य के सौ से अधिक महत्त्वपूर्ण एवं प्रामाणिक ग्रन्थों से संकलित मूल सन्दभों, उद्धरणों तथा उनके हिन्दी अनुवाद के साथ प्रस्तुत किया गया है।
प्रस्तुत कोश की यह भी एक विलक्षण विशेषता है कि विषय के भेद-प्रभेदों, करणानुयोग के विभिन्न विषयों तथा भूगोल से सम्बन्धित विषयों को रेखा-चित्रों और सारणियों द्वारा सरलतम रूप में ऐसी वैज्ञानिक प्रणाली से प्रस्तुत किया गया है कि विशालकाय ग्रन्थों की बहुमूल्य सामग्री एक ही दृष्टि में सामने आ जाती है। भारतीय संस्कृति और साहित्य, विशेषकर जैन सिद्धान्त, धर्म, दर्शन और इतिहास के अध्येताओं, प्रेमी एवं प्रशंसकों के लिए यह कृतज्ञता का विषय है कि ग्रन्थ के इस नये संस्करण के प्रकाशनार्थ, ज्ञानपीठ के विशेष अनुरोध से श्रद्धेय वर्णीजी ने, सल्लेखना ग्रहण करने से पूर्व, इसमें श्रमसाध्य संशोधन-परिवर्धन किया।
पाठकों को सहर्ष समर्पित है प्रस्तुत ग्रन्थ का यह नया संस्करण ।
Publication | Bharatiya Jnanpith |
---|