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जन जन के कवि तुलसीदास

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जन जन के कवि तुलसीदास - 
कविता की कालजयता का अर्थ भी यही है कि वाणी तथा अर्थ की सम्पक्ति की कोई अन्तिम व्याख्या नहीं है, फिर भी, जितनी और जहाँ तक उसकी व्याख्याएँ की जाती है, उसके प्रति किसी के मन में अस्वीकृति का भाव भी नहीं उत्पन्न होता। गोस्वामी तुलसीदास की कृतियों का सन्दर्भ कुछ ऐसा ही है और परम्परा की श्रेष्ठ, कालजयी कृतियाँ भी इसी क्रम में देखी जा सकती हैं। सृजनधर्मी तत्त्वों के साथ कविता का पाठ स्वयं में अर्थ की विलक्षणता उत्पन्न करता चलता है और सच पूछें तो इसका उत्तर भी यही है कि कृति के अर्थ की रहस्यमयता पाठ के आवरण में छिपी रहती है। तुलसीदास की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कृति श्रीरामचरितमानस पाठ अर्थ की जिन सतहों का निर्माण करता हुआ, चित्त को विविध अर्थों की तरंगमयता का बोध कराता है, उनकी जितनी व्याख्याएँ की जायें, थोड़ी हैं। आज भी श्रीरामचरितमानस का पाठ जितना स्पष्ट तथा साफ़ दिखाई पड़ता है, उतना ही वह रहस्यमय बना हुआ है-और जैसा कि कहा जा चुका है, भाव को निर्मित की ज्ञानात्मक व्याख्याएँ सदैव अधूरी ही रहती है।
आज का युग भौतिक आपा-धापी का एक विचित्र उदाहरण बनता जा रहा है। हमारी कालजयी कृतियाँ जन-मानस को आगाह करती हैं कि इस सृष्टि के जीवित प्राणियों से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं है, मनुष्य जाति सर्वोपरि है और उन सबकी रक्षा करना हम सबका प्रथम दायित्व है। भारतीय संस्कृति ने अपनी ऊर्जा द्वारा इस तत्त्व की सुरक्षा के जो उपाय निर्दिष्ट किये हैं, श्रीरामचरितमानस में तुलसी उन्हें अपनी कविता का विषय बना कर हमारे मानस में स्थापित करते हैं। इस पुस्तक का मन्तव्य तुलसी की प्रमुख कृतियों में निहित उन्हीं भारतीय सन्दर्भों की व्याख्या करना है, जिनके कारण मानव जाति की आत्यन्तिक सुरक्षा हो सके।

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9788181439833
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