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जापान के विविध रंग-राग

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जापान के विविध रंग-राग - 
जापानी जीवन, समाज और संस्कृति से जुड़े ये आलेख एवं अनुवाद वस्तुतः भारत-जापान-संवाद का ही एक रूप हैं। भारतीय मिट्टी और हवा में रचे-बसे देशी मन की जापानी समाज, साहित्य और संस्कृति में यह अन्तर्यात्रा एक ओर तो अतीत और वर्तमान के बीच सेतु बनाती रही है दूसरी ओर अपने भारतीय होने के बोध को जाग्रत रखते हुए जापान और भारत के रिश्तों में नयी कड़ियाँ जोड़ती रही है। साहित्य की सजग पाठक और रंग-कलाओं की जागरूक दर्शक होने के कारण मेरे मन में नये-पुराने एशियाई सन्दर्भों की तुलना और सांस्कृतिक-सामाजिक आदान-प्रदान की विवेचना भी लगातार चलती रही है। इस तरह भारत के साथ-साथ जापान भी इन लेखों में मौजूद रहा है।

ISBN
9788181437877
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Vani Prakashan
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Publication Vani Prakashan
रीतारानी पालीवाल (Ritarani Paliwal)

प्रोफ़ेसर रीतारानी पालीवाल - 
जन्म : 3 सितम्बर 1949, खैरगढ़, मैनपुरी, उ.प्र.।
एम.ए. (हिन्दी, अंग्रेज़ी), नाटक और रंगमंच पर हिन्दी में
पीएच.डी., डी.लिट्. विशेष अध्ययन चिन्तन के क्षेत्र रंगमंच, हिन्दी भाषा और साहित्य, तुलनात्मक साहित्य, अनुवाद।

जापानी थिएटर (काबुकी, नोह, बुनाराक) का विशेष अध्ययन। जापानी नाटक और रंगमंच, साहित्य और संस्कृति पर हिन्दी में लेखन, जापानी साहित्य से हिन्दी में अनुवाद।
स्वतन्त्र लेखन, अनुवाद, सम्पादन अध्यापन, ऑडियो-वीडियो कार्यक्रम निर्माण एवं कोश कार्य से सम्बद्ध।
दिल्ली विश्वविद्यालय (हिन्दी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय) में सहायक निदेशक और राजभाषा विभाग (गृह मन्त्रालय) के केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो में अनुवाद अधिकारी के पद पर कार्य किया।

प्रकाशित पुस्तकें : 
यूनानी और रोमी काव्यशास्त्र, रंगमंच नया परिदृश्य, रंगमंच और जयशंकर प्रसाद के नाटक, अनुवाद प्रक्रिया, अनुवाद की सामाजिक भूमिका आहट (काव्य), अनुवाद प्रक्रिया और परिदृश्य, प्रेमचंद के उपन्यास 'कर्मभूमि' का अंग्रेज़ी में अनुवाद, जापान की 'मन्योशु' कविताएँ।

हिन्दी एवं अंग्रेज़ी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में साहित्य, संस्कृति, भाषा सम्बन्धी लेखन।

साहित्य, भाषा एवं शिक्षण सम्बन्धी विषयों पर व्याख्यान।

पुरस्कार : काव्य लेखन के लिए 'साहित्य कला परिषद' दिल्ली द्वारा पुरस्कृत।

अनुवाद के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारतीय अनुवाद परिषद का 'नातालि पुरस्कार'।

 

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