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जवान होते हुए लड़के का कबूलनामा

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"जवान होते हुए लड़के का कबूलनामा - यह कवि विशेष रूप से मध्यवर्गीय जीवन के अनछुए पहलुओं— यहाँ तक कि कामवृत्ति के गोपन ऐन्द्रिय अनुभावों को भी संगत ढंग से व्यक्त करने का साहस रखता है। काव्य-भाषा पर भी कवि का अच्छा अधिकार है।—नामवर सिंह (भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के लिए की गयी संस्तुति से) निशान्त की ये तमाम कविताएँ इस काव्य-अराजक समय में अपनी एक पहचान बनाती हैं, जो किसी लफ़्फ़ाजी या चमत्कार के बूते पर नहीं; अपने आस-पास की ज़िन्दगी से सीधा सरोकार स्थापित कर रचना के पीछे कवि की दृष्टि जिस अलग सच को पूरे साहस के साथ पकड़ती है और पूरी निर्भीकता से साफ़-साफ़ रखती है, वह एक उदीयमान कवि की बड़ी सम्भावनाओं को इंगित करता है। मन के भावों को व्यक्त करनेवाली भाषा को पा लेना आसान नहीं होता। लेकिन निशान्त जिस तरह से अभिव्यक्ति का कोई ख़ास मुहाविरा अपनाये बिना ही एक सहज अभिव्यक्ति हमारे सामने रख देते हैं, वह एक सशक्त कवि के आगमन का द्योतक है। वह सहज अभिव्यक्ति के सौन्दर्य का कैनवास आज की कविता में एक अलग जगह बनाता नज़र आता है। उसमें न तो व्यर्थ का रूमान है, न ही बनावट के नाम पर शिल्प का तिकड़म। इस संग्रह की तमाम कविताओं में आत्मान्वेषण और आत्मसंशोधन की प्रक्रिया के साथ-साथ निजता को व्यक्त करने के साथ-साथ बृहत्तर जीवन से सरोकार बनाये रखने की, उसे पा लेने की उत्कट छटपटाहट है। जहाँ जीवन में जमी जड़ता को तोड़ने का, और उससे उत्पन्न मानव मुक्ति के अहसास को पकड़ने का जो प्रयत्न है, निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण और दायित्त्वपूर्ण है। "
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9788126316960
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निशान्त (Nishant)

निशान्त जन्म : 4 अक्टूबर, 1978, लालगंज, बस्ती (उ.प्र.)। निशान्त का शैक्षणिक नाम ‘विजय कुमार साव’ है और घर का ‘मिठाईलाल’। पहली कविता 1993 में मिठाईलाल के नाम से ‘जनसत्ता’ में प्रकाशित। कुछ दिन इसी नाम से कविताएँ छपती और प्रशंसित होती रहीं। कई कविताओं के बांग्ला व अंग्रेज़ी सहित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद। पचीस साल तक पश्चिम बंगाल में रहते हुए वहाँ की साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के सक्रिय कार्यकर्त्ता। बांग्ला संस्कृति और बांग्ला फ़िल्मों से लगाव, बांग्ला कवि जय गोस्वामी और बुद्धदेव दासगुप्ता की कविताओं का हिन्दी में अनुवाद। कोलकाता विश्वविद्यालय से ‘स्नातक’। रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय से ‘अनुवाद’ में डिप्लोमा। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के लिए महाश्वेता देवी के उपन्यास ‘अरण्येर अधिकार’ (जंगल के दावेदार) पर आधारित एम.ए. के पाठ्यक्रम के लिए पाठ्य-सामग्री का अनुवाद। अनन्त कुमार चक्रवर्ती की पुस्तिका ‘वन्दे मातरम् का सुर : उत्स और वैचित्र्य’ का अनुवाद। ज्ञानरंजन की आठ कहानियों के संग्रह के हिन्दी से बांग्ला में अनुवाद में सहायक। पेट और पढ़ाई के लिए विभिन्न नौकरियों, व्यवसाय एवं विश्वविद्यालयों से होते हुए, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम.ए., एम.फिल., पीएच.डी. (हिन्दी)। भारतीय ज्ञानपीठ की युवा पुरस्कार योजना के अन्तर्गत पहला काव्य-संग्रह ‘जवान होते हुए लड़के का क़बूलनामा’ प्रकाशित। रवीन्द्रनाथ टैगोर की 13 कविताओं पर आधारित फ़िल्म—‘त्रयोदशी’ में अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त फ़िल्मकार-कवि बुद्धदेव दासगुप्ता के साथ बतौर सहायक निर्देशक और अभिनेता कार्य। सम्मान : ‘भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार’, ‘नागार्जुन शिखर सम्मान’, ‘मलखान सिंह सिसोदिया पुरस्कार’। सम्प्रति : काज़ी नज़रुल विश्वविद्यालय, बर्धमान, पश्चिम बंगाल में अध्यापन।

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