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Vani Prakashan

जंगल के खि़लाफ़

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9788181436610
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जंगल के ख़िलाफ़ - 
कहानियाँ लिखी जाती हैं, किन्तु उनके धरातल, परिप्रेक्ष्य, दिशाएँ और सन्देश रचयिता के व्यक्तित्व के अनुरूप अलग-अलग होते हैं। प्रायः अधिकांश आख्यायिकाओं में तथ्य की रेखाएँ कल्पना के प्रगाढ़ रंगों में इस हद तक रंजित होती हैं कि कथ्य की विश्वसनीयता विक्षत हो जाती है।
श्री आर्य की समस्त कथाएँ शब्दों में लिपटी ऐसी अनुभूतियाँ हैं, जो जीवन पुष्प की ओसिल पंखुड़ियों से सद्यः दिखती हैं।
इस संकलन की समस्त कहानियाँ जीवन के सरक्त प्रवाह से उद्भूत हुई हैं। इनमें जीवन स्पन्दन है, सस्वर सत्य है और सर्वोपरि आस्वादित जिजीविषा का उच्छलन है। उपभुक्त जैवनिक क्षण इनमें इस सशक्तता से मुखरित हुए हैं कि कल्पना यथार्थ का यह कथात्मक अभिव्यंजन हिन्दी-कथा-साहित्य में अदृश्यपूर्व, अश्रुतपूर्व और आश्चर्यकर है।

जियालाल जी की कहानियों का स्थापत्य जटिल कुटिल न होकर सरल, सरस और सुगम है; साथ ही शिल्प रुचिकर, मनोहर, चित्ताकर्षक और सर्वजनसंवेद्य है।

जीवन के विमल वृन्त पर उत्फुल्ल ये कथा-कुसुम जन मन-आप्यायक और दिशा-दिशा को सुरभि-सिक्त करने में सक्षम और आधुनिक कथा-रचना के महाकाश को मधु-मकरंद से आपूरित करने में सम्पूर्णतः समर्थ है।

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9788181436610
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