कबीर महान सन्त थे, जिन्होंने अपनी वाणी से पूरे हिन्दी साहित्य को प्रभावित किया। उनके बारे में कई तरह की किंवदन्तियाँ हैं, जिनके आधार पर उनका जीवन परिचय लिखा और पढ़ा जाता है। लेखक ने कबीर की इस जीवन-कथा में उन सभी स्थितियों और परिस्थितियों का ज़िक्र किया है, जिनकी वजह से कबीर को कवि के साथ सन्त और महात्मा कहा गया ।
कबीर उस समय पैदा हुए थे, जब यह देश धर्म की कट्टर जकड़बन्दी में था और जनता को कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। उन्होंने सभी धर्मावलम्बियों को यह बताया कि मनुष्यता ही सबसे बड़ा धर्म है। लेखक ने, इसलिए कबीर के विचार पक्ष पर पर्याप्त सामग्री प्रस्तुत की है। कबीर के उन दोहों को भी इस पुस्तक में रखा गया है, जिनसे समाज को मार्गदर्शन मिलता है और इन्सान को जीवन की सच्चाई समझने में मदद मिलती है। उलटबांसियों को पढ़कर यह तो लगता है कि वे ईश्वर के निर्गुण स्वरूप को मानते थे, मगर इसके पीछे उनकी यह मंशा छिपी हुई है कि लोग अन्धविश्वास, धार्मिक कट्टरता को छोड़कर ईश्वर की वास्तविक छवि को समझें और यह जानें कि-
मोको कहाँ ढूँढ़े रे बन्दे मैं तो तेरे पास में।
कबीर के इस दर्शन ने इन्सान का आत्मविश्वास बढ़ाया है और ढकोसलों के पार जाकर आदमी के जीवन की असली मूरत दिखाई है।
कबीर समाज के कवि हैं, जीवन-धर्म के रचयिता हैं, यह किताब नयी पीढ़ी के मार्गदर्शन में निश्चित ही बहुत उपयोगी साबित होगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
"विष्णु नागर -
जन्म 14 जून, 1950। बचपन और छात्र जीवन शाजापुर (मध्य प्रदेश) में बीता। 1971 से दिल्ली में स्वतन्त्र पत्रकारिता। 1974 ये 1997 तक 'नवभारत टाइम्स' के मुम्बई और फिर दिल्ली संस्करण में विशेष संवाददाता समेत विभिन्न पदों पर कार्य किया। इसी बीच जर्मनी में 'डॉयचे वैले' की हिन्दी सेवा में दो वर्ष तक सम्पादक। 1997 से 2002 तक 'हिन्दुस्तान' में विशेष संवाददाता और बाद में 'कादम्बिनी' मासिक के 2008 तक कार्यकारी सम्पादक। क़रीब दो वर्ष तक 'संडे नई दुनिया' के सम्पादक और क़रीब सवा तीन साल तक 'शुक्रवार' समाचार साप्ताहिक के सम्पादक। इस समय स्वतन्त्र लेखन।
7 कविता संग्रह, 8 कहानी संग्रह, 8 व्यंग्य संग्रह, एक उपन्यास, आलोचना और साक्षात्कार की पुस्तक समेत 7 लेख व निबन्ध संग्रह। 'सहमत' संस्था के लिए तीन संकलनों तथा रघुवीर सहाय पर पुस्तक का सह सम्पादन। सुदीप बनर्जी की कविताओं के चयन का सम्पादन लीलाधर मंडलोई के साथ। मृणाल पांडे के साथ कादम्बिनी में प्रकाशित हिन्दी के महत्वपूर्ण लेखकों द्वारा चयनित विश्व की श्रेष्ठ कहानियों का संचयन-'बोलता लिहाफ़'।
मध्य प्रदेश का शिखर सम्मान, शमशेर सम्मान, व्यंग्य श्री सम्मान, दिल्ली हिन्दी अकादमी का साहित्य सम्मान, शिवकुमार मिश्र स्मृति सम्मान, उत्तर प्रदेश का पत्रकारिता शिरोमणि, रामनाथ गोयनका सम्मान आदि।
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