कहने को बहुत कुछ था
In stock
Only %1 left
SKU
9789389012712
As low as
₹379.05
Regular Price
₹399.00
Save 5%
“मेरा ननिहाल था रावलपिण्डी। घर से मेरी नानी जितने दिन जीवित रहीं, एक उदास चुप्पी का पुराना सालू समेटे, बिछुड़ा हुआ अतीत जीती रहीं। उनके पैर के तलवे का ज़ख्म जो घर की ड्योढ़ी लाँघते समय उन्हें ख़ूनो-ख़ून कर गया था। उनकी मृत्यु तक बराबर रिसता रहा। आँसू जैसे आँखों से नहीं पैर की मवाद में बहते रहे...। तब तक जब तक उन्होंने नब्बे वर्ष की उम्र में निवाड़ की चारपाई पर, निःशब्द दम तोड़ दिया। वह अपने नित्य के नाटक से बाहर चली गयीं। दिल्ली के घर के रंगमंच पर से विदा लेकर उस पृष्ठभूमि में जहाँ वह अभिनय का एक बेबस पात्र नहीं, वह स्वयं थीं अकेली अपनी पुरानी रावलपिण्डी की 'रलियाराम हवेली' से रुख़सत लेती हुई। तब से बचपन से नानी की रावलपिण्डी, पाकिस्तान कहीं मेरे भीतर तिलस्म...रूमानियत...दर्द सा सरसराता रहा। फिर मेरे जाने-अनजाने एक फैस्सीनेशन में बदल गया। - 'एक संस्मरण का अंश'
ISBN
9789389012712
Write Your Own Review