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Bharatiya Jnanpith

कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे

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"कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे - उमा शंकर की कविताएँ अपने मूल स्वर में राजनीतिक हैं और इनके विषय वस्तु का क्षेत्र व्यापक है। यथार्थवादी विचार व भाव की इन कविताओं में स्वाभाविक रूप से एक बेचैनी है।—नामवर सिंह ('अंकुर मिश्र स्मृति पुरस्कार 2007' के निर्णायक के रूप में दी गयी सम्मति) उमा शंकर चौधरी युवा कवियों में एक जाना-माना नाम है— रघुवीर सहाय की परम्परा का उत्तर आधुनिक विस्तार! भूमण्डलीकरण के बाद के क़स्बे, नगर, गली, मुहल्ले उनकी कविता में अकबकाये मिलते हैं— जन जीवन में बिखरी पीड़ा, विवशता और बेचैनी के कई अन्तरंग चित्र इनकी कविता खड़े करती है। राजनीतिक षड्यन्त्र, आगजनी, हत्या, आतंक, लूटपाट और मूल्यहीनता, आपसी सम्बन्धों में सहज ऊष्मा का अभाव, अपने आप में इतने बड़े विषय हैं कि 'कोई कवि बन जाये सहज सम्भाव्य है'। लेकिन इन बड़े विषयों पर लिखते हुए बड़बोला होने के ख़तरे बने रहते हैं। उमा शंकर की ख़ासियत यह है कि वे बड़बोला होने से बचते हैं— कभी फ़ैंटेसी के सहारे, कभी दूसरी महीन तकनीकों के दम से जो अचानक ब्रेक लगाकर पाठक को झटक देती हैं; आँखों को और अधिक आँखें बनाती हैं, कानों को और अधिक कान, कम-से-कम चौकन्ना तो उसको कर ही देती हैं जो अपने आप में एक बड़ी बात है।– अनामिका ('जनसत्ता' के स्तम्भ 'रंग-राग' से) "
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9788126316946
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Bharatiya Jnanpith
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उमा शंकर चौधरी (Uma Shankar Choudhary)

"1 मार्च, 1978 को खगड़िया, बिहार में जन्म। कविता और कहानी लेखन में समान रूप से सक्रिय । प्रकाशन : चार कविता संग्रह कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे, चूंकि सवाल कभी ख़त्म नहीं होते, वे तुमसे पूछेंगे डर का रंग, कुछ भी वैसा नहीं। तीन कहानी संग्रह अयोध्या बाबू सनक गये हैं, कट टु दिल्ली और अन्य कहानियाँ, दिल्ली मेंनींद और एक उपन्यास अँधेरा कोना प्रकाशित। साथ ही आलोचना की दो पुस्तकें हैं-विमर्श में कबीर और दलित विमर्श: कुछ मुद्दे कुछ सवाल। दो सम्पादित पुस्तकें भी हैं- हाशिये की वैचारिकी और हिस्सेदारी के प्रश्न- प्रतिप्रश्न | सम्मान : साहित्य अकादेमी युवा सम्मान, भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन सम्मान, रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार, अंकुर मिश्र स्मृति सम्मान और पाखी का जनप्रिय लेखक सम्मान । कहानियों, कविताओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद। कविता संग्रह कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे का मराठी अनुवाद साहित्य अकादेमी से प्रकाशित । कविताएँ केरल विश्वविद्यालय, केरल, शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कलाडी, केरल और एम. जी. विश्वविद्यालय, कोट्टयम, केरल के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल । विभिन्न महत्त्वपूर्ण श्रृंखलाओं में कहानियाँ और कविताएँ संकलित । कहानी अयोध्या बाबू सनक गये हैं पर प्रसिद्ध रंगकर्मी देवेन्द्र राज अंकुर द्वारा एनएसडी सहित देश की विभिन्न जगहों पर पच्चीस से अधिक नाट्य प्रस्तुतियाँ । मो. : 09810229111 ई-मेल : umshankarchd@gmail.com"

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