कलम और तलवार के धनी रहीम
कलम और तलवार के धनी रहीम -
'कलम और तलवार के धनी रहीम' हिन्दी, संस्कृत, फारसी के कवि राजनीतिज्ञ और योद्धा अब्दुर्रहीम खानखाना के जीवन पर आधारित एक उपन्यास है। इसमें उनके कुछ फुटकर छन्द भी भावार्थ सहित दिये गये हैं। यह पुस्तक न केवल नवसाक्षरों और किशोरों को ध्यान में रखकर लिखी गयी है, बल्कि आम साहित्य-प्रेमियों को भी लोकप्रिय कवि के जीवन के विविध आयामों की जानकारी देती है।
रहीम अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे इस पुस्तक में उनके जीवन और साहित्य के साथ-साथ अकबर और जहाँगीर के शासनकाल में मुगल साम्राज्य का राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक परिदृश्य भी उपस्थित मिलेगा। उपन्यास में मदिरा को छोड़कर सभी पात्र ऐतिहासिक हैं। लेखक ने उपन्यास में इतिहास और साहित्य के सम्बन्धों पर निरन्तर दृष्टि रखी है, जिसने आद्यन्त सजह कलात्मक सन्तुलन का निर्वाह हुआ है। भारतीय संस्कृति के प्रति रहीम के अनन्य अनुराग और पौराणिक कथाओं के प्रति उनकी आस्था का भी दिग्दर्शन कराया गया है। रहीम भारत की उसी मिली-जुली धर्मनिरपेक्ष संस्कृति के प्रतिनिधि हैं, जिसका एक उज्ज्वल पक्ष कबीर में और दूसरा अकबर के 'दीन-ए-इलाही' में मिलता है।
Publication | Vani Prakashan |
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