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कवि परम्परा (भाग-दो) सियारामशरण गुप्त से अरुण कमल - 
प्रख्यात समालोचक प्रभाकर श्रोत्रिय की कवि परम्परा' (भाग-दो) विभिन्न युगों की कविता को ताज़गी और मार्मिकता से आधुनिक पटल पर रखती है। इस पुस्तक में शामिल 13 कवि कविता के विकास के लम्बे काल विस्तार को समेटे हुए हैं। इस पुस्तक में भारतेन्दु, सियारामशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, रामधारी सिंह दिनकर, अज्ञेय, गिरिजाकुमार माथुर, नागार्जुन, जगदीश चतुर्वेदी, श्रीराम वर्मा, कुँवर नारायण, कैलाश वाजपेयी, अरुण कमल और विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की कविताओं का गहन अध्ययन है।
अलग-अलग युग के अलग-अलग धारा के इन कवियों की रचनाओं का विषद् अध्ययन इस पुस्तक का प्राण है। इस पुस्तक में प्रत्येक कवि की व्याख्या और उनके अब तक अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उनकी पुनर्व्याख्या की गयी है, जो एक आवश्यक अकादमिक हस्तक्षेप है।
कविता के अध्येताओं व शोधार्थियों के लिए सर्वथा स्वागतयोग्य कृति।
पुस्तक – लपटें - 

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Kavi Parampara-2
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Bharatiya Jnanpith
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Publication Bharatiya Jnanpith
प्रभाकर श्रोत्रिय (Prabhakar Shrotriya)

प्रभाकर श्रोत्रिय जन्म : 19 दिसम्बर, 1938, प्रख्यात आलोचक, नाटककार, निबन्धकार। प्रखर सन्तुलित : दृष्टि। सर्जनात्मक भाषा और विवेचना की मौलिक भंगिमा। नई कविता का सौन्दर्यशास्त्र, नई और समकालीन  कविता  का  प्रामाणिक  मूल्यांकन, साहित्येतिहास का पुनर्मूल्यन, छायावाद, द्विवेदी-युग, प्रगतिवाद इत्यादि का नव विवेचन। दो दर्जन मौलिक और एक दर्जन सम्पादित ग्रन्थ। प्रमुख कृतियाँ : ‘कविता की तीसरी आँख’, ‘रचना एक यातना है’, ‘जयशंकर प्रसाद की प्रासंगिकता’, ‘संवाद’ (नई कविता-आलोचना), ‘कालयात्री है कविता’, ‘अतीत के हंस : मैथिलीशरण गुप्त’, ‘प्रसाद साहित्य में प्रेमतत्त्व’, ‘हिन्दी कविता की प्रगतिशील भूमिका’, ‘शमशेर बहादुर सिंह’, ‘नरेश मेहता’, ‘सुमन : मनुष्य और सृष्टा’, ‘रामविलास शर्मा : व्यक्ति और कवि’ (आलोचना); ‘धर्मवीर भारती’ (सं.), ‘कविता की तीसरी आँख’ का अंग्रेज़ी अनुवाद ‘The Quintessence of Poetry’ (नाटक); ‘इला’, ‘साँच कहूँ तो...’, ‘फिर से जहाँपनाह’। ‘इला’ का ग्यारह भारतीय भाषाओं में अनुवाद आदि। सम्मान : ‘अखिल भारतीय आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार’ (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), ‘अ.भा. रामकृष्ण बेनीपुरी पुरस्कार’ (बिहार सरकार, भाषा विभाग), ‘आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार’ (मध्य प्रदेश साहित्य परिषद), ‘रामेश्वर गुरु पत्रकारिता पुरस्कार’, ‘श्री शरद सम्मान’ आदि। कार्य : निदेशक भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता; निदेशक, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली; सम्पादक : ‘वागर्थ’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘साक्षात्कार’, ‘अक्षरा’, ‘पूर्वग्रह’। विदेश यात्रा : नार्वे। सदस्य : केन्द्रीय साहित्य अकादेमी, विद्या परिषद महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय। परामर्शदाता : केन्द्रीय साहित्य अकादेमी (हूज. हू. हिन्दी), नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली लक्ष्मीदेवी ललित कला अकादमी, कानपुर। निधन : 15 सितम्बर, 2016

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