Publisher:
Vani Prakashan

खामोश! अदालत जारी है

In stock
Only %1 left
SKU
Khamosh! Adalat Jari Hai
Rating:
0%
As low as ₹189.05 Regular Price ₹199.00
Save 5%

समाज न्याय पर स्थित है और न्याय क़ानून पर। और क़ानून गधा है! (इसका मतलब यह नहीं कि समाज गधेपन पर आश्रित है। यह पूर्ण सत्य नहीं हो सकता क्योंकि गधा सिर्फ़ बुद्धिहीन होता है, क्रूर नहीं।) परम्परागत आचार-विचार और जंग लगी रूढ़ियाँ भी समाज के अलिखित क़ानून होते हैं। और इसकी चौखट जाने-अनजाने लाँघने वाला व्यक्ति समाज में सज़ा के योग्य होता है। न्याय-अन्याय के इस भयावह खेल में मशगूल समाज की अदालत में एक मुक़दमा पेश किया गया है। शरीर के 'शरीरत्व' का शाप ढोने वाली एक मनस्वी लड़की पर। मुकदमा चलाया जा रहा है। इस अभियोग का उद्देश्य न तो सनातन मूल्यों की जाँच करना है और न ही न्याय-अन्याय से किसी को कुछ लेना-देना है। तयशदा चौखट में जीते-जीते ऊब गये, थके-माँदे समाज ने मनोरंजन हेतु इस खेल का आरम्भ किया है। खेल की। अन्तिम परिणति के बारे में किसी को कछ लेना-देना नहीं है। सिर्फ़ समय काटना है। मुक़दमा जितना सनसनीखेज़ होगा। उतना समय अच्छा बीतने वाला है। - श्रीराम लागू

ISBN
Khamosh! Adalat Jari Hai
Publisher:
Vani Prakashan

More Information

More Information
Publication Vani Prakashan

Reviews

Write Your Own Review
You're reviewing:खामोश! अदालत जारी है
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/