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Khandhar Mein Vaibhav

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खंडहर में वैभव - 
यह उपन्यास एक कहानी के माध्यम से नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित खंडहर के विषय में रोचक तरीक़े से बताता है। बनर्जी साहब, उपाध्याय जी, रामबाबू और डॉ. प्रसाद जैसे सुलझे हुए पात्रों के माध्यम से कथा धीरे धीरे अपने कथन में गहरी होती जाती है और पाठक इस उपन्यास में रुचि लेने लगता है।

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Khandhar Mein Vaibhav
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राकेश पाण्डेय (Rakesh Pandey)

"राकेश पाण्डेय : हिन्दी की प्रख्यात अन्तरराष्ट्रीय पत्रिका ‘प्रवासी संसार' के सम्पादक डॉ. राकेश पाण्डेय हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में एक जाने-माने व्यक्तित्व हैं। प्रवासी हिन्दी लेखन, गांधी दर्शन और चिन्तन, भारतीय लोक-साहित्य के एक गम्भीर अध्येता हैं। अनेक विश्व हिन्दी सम्मेलनों के अतिरिक्त राकेश पाण्डेय अमेरिका, यूरोप, एशिया तथा अफ्रीका महाद्वीप के अनेक देशों में आयोजित हिन्दी सम्मेलनों में संयोजनात्मक बौद्धिक भागीदारी कर चुके हैं। गांधीजी पर केन्द्रित तीन पुस्तकें प्रकाशित हैं। डॉ. राकेश पाण्डेय द्वारा हिन्दी और अवधी के लिए विश्व स्तर पर किये गये कार्य उल्लेखनीय हैं। ‘गांधी और हिन्दी’, प्रकाशक : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत सरकार। ‘ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबन्धित साहित्य में गांधी’, प्रकाशक : राष्ट्रीय अभिलेखागार, भारत सरकार एवं डायमंड बुक्स। ‘गांधी और गिरमिटिया’, प्रकाशक : वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली। बनारसीदास चतुर्वेदी के बाद भारत में प्रवासी साहित्य एक विराट शून्य में समा गया। कई दशकों बाद वैश्विक चेतना के विकास के साथ-साथ प्रवासी साहित्य के समय सापेक्ष सन्दर्भों में नये सिरे से पड़ताल किये जाने की ज़रूरत शिद्दत से महसूस की जाने लगी। इस चुनौतीपूर्ण रचनात्मक अकाल-ऋतु में प्रवासी साहित्य की बंजर ज़मीन को सरसब्ज़ बनाने का मुश्किल काम ‘प्रवासी संसार' पत्रिका के ज़रिये राकेश पाण्डेय ने पूरी निष्ठा के साथ शुरू किया। स्नातकोत्तर शिक्षा के बाद अवधी लोकनाट्य और हिन्दी लोकनाट्य के तुलनात्मक अध्ययन पर शोधकार्य सम्पन्न किया है। विश्व में फैले प्रवासी भारतीय समाज में अवध डायस्पोरा की अवधारणा को पहली बार राकेश पाण्डेय ने स्थापित किया, क्योंकि गिरमिटिया प्रथा में गये मज़दूरों को केवल बिहार मूल से ही समझा जाता रहा है। देश-विदेश की अनेक महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व कृतियाँ प्रकाशित हैं। दूरदर्शन व आकाशवाणी के अनेक कार्यक्रमों में सहभागिता की है। विगत वर्ष उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा आपकी कृति ‘अवधीलोक में लोक’ को पुरस्कृत किया गया है। साथ ही समय-समय पर राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित होते रहे हैं। "

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