खिंचैयां

In stock
Only %1 left
SKU
9788126340064
Rating:
0%
As low as ₹209.00 Regular Price ₹220.00
Save 5%
"खिंचाइयाँ - व्यंग्य साहित्य में व्यंग्यात्मक प्रवृत्तियों को हास्य का विषय बनाकर जीवन सम्बन्धी कुछ गहन तथ्यों की चर्चा की जाती है। गंगाधर गाडगिल का लेखन इस अर्थ में प्रस्थापित परम्परा को लाँघता है। उनका लेखन मात्र व्यंग्यात्मकता का निर्माण नहीं करता, बल्कि यथार्थ को तोड़-मरोड़कर हास्य भी पैदा करता है। उन्होंने विविध प्रयोगों द्वारा हास्यानुभूति को उत्कटता और सच्चाई के साथ पाठकों तक सम्प्रेषित करने का प्रयास किया है। वे अपने लेखन में कहीं स्वयं चरित्र हैं तो कहीं चरित्रों के बीच निवेदक। वे स्थितियों में ऐसी कल्पनाएँ जोड़ते हैं जो यथार्थ से दूर लगने पर भी यथार्थ को ही निशाना बनाती हैं। इस अकल्पनीय स्थिति को मराठी हास्य-व्यंग्य में विक्षिप्त प्रवृत्ति (whimsical trend) कहा गया है। लेखक ने खिचाइयाँ में सास-बहू के बीच तनाव, पति-पत्नी के आपसी मनमुटाव, पिता-पुत्र के सम्बन्धों के सुख-दुःखात्मक पहलू, स्त्री के मन में ससुरालवालों के प्रति पूर्वग्रह, संयुक्त परिवार की उलझनें और नयी-पुरानी पीढ़ी की टकराहट को दृश्यात्मकता के साथ कई रंगों में अंकित किया है। इसी प्रकार समाज, राजनीति व अर्थव्यवस्था पर उनकी व्यंग्य-भरी मुस्कराहट स्पष्ट दीखती है। कहना न होगा कि गंगाधर गाडगिल ने मराठी के हास्य-व्यंग्य को एक नया आयाम दिया है। आशा है, उनकी अन्य रचनाओं की तरह खिंचाइयाँ भी पाठकों को अपनी ओर खींचेगी। "
ISBN
9788126340064
Write Your Own Review
You're reviewing:खिंचैयां
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/