Publisher:
Bharatiya Jnanpith

लोकरंगी प्रेम कथाएँ

In stock
Only %1 left
SKU
9788126340576
Rating:
0%
As low as ₹80.00 Regular Price ₹100.00
Save 20%
"लोकरँगी प्रेम – कथाएँ - 'लोकरँगी प्रेम-कथाएँ' कहानी संकलन में कुछ प्रसिद्ध लोक कथाओं को शामिल किया गया है। ये कथाएँ लोक-जीवन और लोकव्यवहार के माध्यम से आंचलिक परिवेश में दाख़िल होती हैं और समस्त लोक आभा पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती हैं। साहित्य में आने वाली पीढ़ियाँ इन कथाओं को अपनी विरासत अवश्य मानेंगी। ये कहानियाँ भारतीय जनमानस का अविभाज्य अंग बन चुकी हैं। लैला मजनूँ, सोहनी महीँवाल, हीर राँझा, शीरीं फरहाद, नल दमयन्ती की कहानियाँ सैकड़ों वर्षों से हमारी चेतना में रच-बस चुकी हैं। यह संकलन इन्हीं कहानियों की स्मृति और अठखेलियों में रचा-बसा है। "
ISBN
9788126340576
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
रवीन्द्र कालिया (Ravindra Kaliya)

रवीन्द्र कालिया

जन्म : 11 नवम्बर, 1938; जालन्धर, पंजाब।

शिक्षा : हिन्दी साहित्य में एम.ए.।

कुछ समय तक हिसार के डिग्री कॉलेज में प्राध्यापन।

प्रमुख कृतियाँ : ‘खुदा सही सलामत है’, ‘17 रानाडे रोड’, ‘ए.बी.सी.डी.’ (उपन्यास); ‘नौ साल छोटी पत्नी’, ‘सत्ताईस साल की उम्र तक’, ‘ग़रीबी हटाओ’, ‘चकैया नीम’, ‘ज़रा-सी रोशनी’, ‘गलीकूचे’, ‘रवीन्द्र कालिया की कहानियाँ’ (कहानी); ‘कॉमरेड मोनालिज़ा’, ‘स्मृतियों की जन्मपत्री’, ‘मेरे हमक़लम’, ‘सृजन के सहयात्री’, ‘ग़ालिब छुटी शराब’ (संस्मरण); ‘नींद क्यों रात-भर नहीं आती’, ‘तेरा क्या होगा कालिया’, ‘राग मिलावट मालकौंस’ (व्यंग्य)।

सम्पादन : भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ‘भाषा’ का सह-सम्पादन। ‘धर्मयुग’ में वरिष्ठ उप-सम्पादक। ‘मेरी प्रिय सम्पादित कहानियाँ’, ‘मोहन राकेश की श्रेष्ठ कहानियाँ’ सहित लगभग पचास पुस्तकों का सम्पादन। ‘वर्तमान साहित्य’ के कहानी महाविशेषांक, ‘साप्ताहिक गंगा यमुना’, ‘वागर्थ’ और ‘नया ज्ञानोदय’ का सम्पादन।

सम्मान व पुरस्कार : ‘शिरोमणि साहित्य सम्मान’ (पंजाब शासन), ‘राममनोहर लोहिया सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘प्रेमचन्द सम्मान’ (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान); ‘पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी पुरस्कार’ (मध्य प्रदेश शासन) आदि।

अन्तरराष्ट्रीय साहित्यिक कार्यक्रमों के सन्दर्भ में अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, सूरीनाम, दक्षिण अफ़्रीका आदि देशों की यात्राएँ।

विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में रचनाएँ शामिल। देश-विदेश की कई भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद। विभिन्न सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं के सदस्य रहे रवीन्द्र कालिया ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ के पूर्व निदेशक भी थे।

निधन : 09 जनवरी, 2016

Write Your Own Review
You're reviewing:लोकरंगी प्रेम कथाएँ
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

डिज़ाइन और विकास: Octagon Technologies LLP