'बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध और इक्कीसवीं के आरम्भ में जिन कवियों ने निर्भीकता, साहस, कल्पना के नवाचार और अपनी प्रगल्भ प्रखरता से काव्यशास्त्र बदला उनमें मराठी कवि दिलीप चित्रे रहे हैं। यह कविता का वितान बदलना भर नहीं था : यह उसके भूगोल का विलक्षण विस्तार था। यह कविता के इतिहास को ताज़ा नज़र से देखकर पुनरायत्त और किसी हद तक पुनराविष्कृत करना था। यह निरन्तर परिवर्तन की क्रान्ति थी जो अब टिकाऊ हो गयी है और अब तक अबाध चल रही है। दिलीप चित्रे द्विभाषिक कवि थे। उन्होंने मराठी के अलावा अंग्रेजी में सीखा, लिखा और कई मराठी-हिन्दी कवियों की कविताओं का अनुवाद भी अंग्रेज़ी में किये। वे चित्रकार थे और उनके कुछ चित्रांकन इस हिन्दी संचयन में शामिल हैं। उन्होंने फ़िल्में भी बनायीं। भारत भवन में रहते उन्होंने शमशेर बहादुर सिंह के कविता-पाठ पर एक बहुत सुन्दर फ़िल्म बनायी थी। उनकी हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में गहरी पैठ थी और उसके बारे में उन्होंने, जब-तब, मार्मिकता और गहरी संवेदना से लिखा। वे कुशल सम्पादक थे और उन्होंने अंग्रेज़ी और मराठी में कई पत्रिकाओं का बहुप्रशंसित सम्पादन किया। -अशोक वाजपेयी
दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे ब्रिटिश कालीन बड़ोदा राज्य में जन्म, पुणे में निधन। अंग्रेज़ी और मराठी के विश्व प्रसिद्ध द्विभाषी कवि, अनुवादक, चित्रकार संगीतज्ञ, फ़िल्मकार और सम्पादक। 1994 में मराठी में लिखी गयी मौलिक रचनाओं एकूण कविता के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार। उसी वर्ष सन्त तुकाराम की कविताओं के मध्यकालीन मराठी से अंग्रेज़ी में अनुवाद 'Says Tuka के लिए भी साहित्य अकादेमी पुरस्कार। देश-विदेश में कई पुरस्कार और सम्मान। कई वर्षों तक भारत भवन से सम्बद्ध रहे। हिन्दी फ़िल्म 'विजेता' के लिए पटकथा और संवाद लेखन, 'गोदाम का निर्देशन, फिल्म 'अर्धसत्य' की कविता 'अर्धसत्य' के कवि, अनेक विज्ञापन फ़िल्मों तथा डॉक्युमेंटरी फ़िल्मों का निर्माण जिनमें 'दत्त', 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी', क्वेश्चन ऑफ़ आइडेंटिटी आदि मुख्य। इसके अलावा शमशेर बहादुर सिंह, शक्ति चट्टोपाध्याय, के. सच्चिदानन्दन, कुँवर नारायण, नारायण सुर्वे और बी. सी. सान्याल पर भी डॉक्युमेंटरी फिल्मों का निर्माण तथा निर्देशन। देश-विदेशों में चित्रों की अनेक प्रदर्शनियाँ लगीं और कई स्थानों पर उनके चित्र संग्रहित हैं। लघु पत्रिकाओं के आन्दोलन के प्रवर्तकों में से एक। 'शब्द' (1954-1960) तथा 'द न्यू क्वेस्ट' (1978-80 और फिर 2001 से जीवन के अन्त तक) त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिकाओं का सम्पादन। दुनिया भर की अनेक भाषाओं में उनके लेखन के अनुवाद छप चुके हैं। हिन्दी भाषा और साहित्य में समान रूप से स्वीकृत और सम्मानित। तुषार धवल समकालीन हिन्दी कविता के एक महत्त्वपूर्ण स्वर हैं। चित्रकार हैं, फ़ोटोग्राफ़ी करते हैं और अभिनय भी। अब तक उनकी कविताओं के दो संग्रह प्रकाशित हैं, पहर यह बेपहर का (2009) और ये आवाज़ें कुछ कहती हैं (2014)। उनकी कविताओं का अनुवाद लगभग सभी भारतीय भाषाओं, अंग्रेज़ी, स्पैनिश आदि में हो चुका है। एक अनुवादक के तौर पर यह पहला और अब तक सबसे बड़ा प्रकल्प है। इसके अलावा समकालीन यूरोपीय कवियों, समकालीन युवा भारतीय अंग्रेज़ी और कश्मीरी कवियों की कविताओं का तथा सिमॉन द बोउवा और फ्रैंज़ काफ़्का के लेखों का अनुवाद कर चुके हैं। सम्प्रति भारतीय राजस्व सेवा में आयकर आयुक्त के पद पर कोलकाता में कार्यरत।