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मैं बच गयी माँ

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शायरी जिससे ज़ेहरा आपा की पहचान है, के अलावा उन्होंने टीवी ड्रामा सीरियलों और फिल्मों के लिए पटकथाएँ भी लिखी हैं। उनके दो सगे भाई और बहन भी टेलीविज़न उद्योग से जुड़े रहे हैं। उनकी बड़ी बहन फातिमा सुरैय्या बजिया एक मशहूर पटकथा लेखिका थीं और उनके भाई अनवर मक़सूद एक जाने-माने लेखक, व्यंग्यकार और टेलीविज़न होस्ट हैं। फिलहाल वे अपना वक्त कराची के अपने घर में बिताती हैं जो किताबों और पेंटिंग्स से भरा हुआ है, या फिर वे विदेशों में बसे अपने दो बेटों और दूसरे रिश्तेदारों के साथ वक्त गुज़ारने के लिए सफर करती रहती हैं। बहरहाल वे अपने घर पर रहें या दुनिया के किसी भी शहर में, किताबें और पढ़ना उनकी जिन्दगी की बड़ी ज़रूरतें हैं। जैसा कि अपनी नज़्म 'विस' में वे लिखती हैं :

पीछे मुड़ कर देख रही हूँ 

क्या-क्या कुछ विर्सा में मिला था 

और क्या कुछ मैं छोड़ रही हूँ

- डॉ. रख़्शंदा जलील

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