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मानवाधिकार और समकालीन कविता

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"मानवाधिकार और समकालीन कविता - कविता मानवाधिकार का अनुसन्धान करती है। समकालीन कविता के कथ्यपक्ष में समय की भयावहता तथा मानवाधिकारहीनता की यथार्थ व सम्भावित स्थितियों का खाका है, साथ ही वह अपनी भाषा की बारीकी के माध्यम से मानवाधिकार सम्बन्धी चेतना को प्रसारित करती है। उस भाषा के स्वच्छ कलेवर में प्रभुता का निरास है, व्यवस्था की सीमाओं पर प्रहार है। खैर, अधिकारों का नवीन सांस्कृतिक आख्यान समकालीन कविता पेश करती है। कविता का यह तेवर ज़रूर नवीन विमर्शों को जन्म देता है। यह विमर्श प्रमोद के. नायर की भाषा में 'मानवाधिकार की नैतिक परियोजना को विस्तृत एवं सशक्त बनाता है और अधिकार से वंचित जनता के बुनियादी अधिकारों के बारे में विचार करने के लिए विवश करता है।' जीवन के चारों तरफ़ व्याप्त अधिकारहीनता को, उसके पीछे कार्यरत शक्तियों को आज की कविता बेनकाव करती है। आजकल हम महसूस करते हैं कि पूँजीवादी संस्कृति के नशे से उत्पन्न नैतिक गिरावट से मानव अपनी इन्द्रियों के सामने प्रतिभासित सच्चाई को पहचान नहीं पा रहा है। पूँजीवादी व्यवस्था द्वारा प्रदान की गयी सुविधाओं से आज का इन्सान गुदगुदी का अनुभव करता है, छिछले आनन्द का अनुभव करता है। इस नशे से अपने समाज की यथार्थताओं से मनुष्य कट जाता है । "
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9789355182265
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डॉ. प्रभाकरन हेब्बार इल्लत (डॉ. प्रभाकरन हेब्बार इल्लत )

"डॉ. प्रभाकरन हेब्बार इल्लत - जन्म : केरल के कण्णूर ज़िले के पाणप्पुषा गाँव में। शैक्षणिक योग्यताएँ : एम.ए. (हिन्दी), एम.ए. (अंग्रेज़ी), एम.ए. (भाषाविज्ञान), एम.ए. (अनुवाद अध्ययन), बी.एड., एम.फ़िल., पीएच.डी., पी.जी.डी.टी.एस., पी.जी. एन.एल.पी., यूजीसी-नेट, स्लेट । प्रकाशित रचनाएँ : निराला के काव्य निर्माण में वैदिक संस्कृति की भूमिका, नारायण गुरु की यात्रा (पेरुंबडवम श्रीधरन की मलयालम कृति 'नारायणम' का हिन्दी अनुवाद), गंगा (के.पी. सुधीरा के मलयालम उपन्यास 'गंगा' का हिन्दी अनुवाद), Rajaravi Varma : The Colossus of Indian Painting, राजभाषा हिन्दी : विविध आयाम, सिद्धार्थ (हेरमन हेस्से के 'सिद्धार्थ' उपन्यास का हिन्दी अनुवाद), संस्कृति भाषा साहित्य, नवत्युत्तर हिन्दी कविता की नूतन प्रवृत्तियाँ, रामविलास शर्मा का अवदान, मानवाधिकार और समकालीन हिन्दी कविता, भाषा एवं साहित्य : विविध परिदृश्य, आधुनिक हिन्दी कविता से साक्षात्कार, पर्यावरण और समकालीन हिन्दी साहित्य, मानवाधिकार की राजनीति। पुरस्कार : उत्तम शोध-ग्रन्थ के लिए केरल हिन्दी साहित्य अकादमी का पुरस्कार (2004), अनुवाद के लिए राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन का पुरस्कार (2008), 'हिन्दीतर लेखक हिन्दी पुरस्कार', केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, भारत सरकार (2013), 'बालकृष्ण गोइंका अनुवाद पुरस्कार' (2015), 'डॉ. सुनीताबाई आलोचना पुरस्कार' (2020) आदि । अनुसन्धान : यूजीसी की दो कनिष्ठ परियोजनाएँ पूरी कीं, यूजीसी का रिसर्च पुरस्कार (2014), पोस्ट डॉक्टरल फ़ेलो-केरल सरकार । सदस्यता : कण्णूर विश्वविद्यालय, कण्णूर एवं श्रीशंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कालडी के बोर्ड ऑफ़ स्टडीज़ का सदस्य । रुचि : कविता, आलोचना, भाषाविज्ञान, अनुवाद । सम्प्रति : एसोसिएट प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, कुसाट, कोच्चिन, केरल-682022 स्थायी पता : एम.एम. बाज़ार, कण्णूर ज़िला, केरल-670306 "

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