मंगलसूत्र
मंगलसूत्र
ऐसे साहसी लेखकों ने राष्ट्रीय, सामाजिक और मानवीय बातों के लिए डटकर संघर्ष किया था। इसलिए उनके हर भाषण और हर कृति का अपना लक्ष्य था। यद्यपि अभिजात विधानों ने बराबर रोक लगायी कि साहित्य-रचनाओं का कोई उद्देश्य न हो, तो भी वे हटे नहीं। संक्षेप में कहा जाय तो पदवाक्य छन्दालंकारों का साहित्य में जो आधिपत्य रहा, वहाँ मानव-मूल्यों के राज के लिए उन लोगों ने जो संघर्ष किया, वह पच्चीस वर्षों के अन्दर सफल हो गया। उसकी विजयपताका में तकषी की कृतियाँ ऊपर अंकित हैं।
गौर से देखें तो तकषी की कहानियों में मोपासाँ और चेखव मिलेंगे पर मोपासाँ की रंगीन शैली एवं चेखव का व्यंग्य उनकी कहानियों में ढूँढ़ना व्यर्थ होगा। नारी-जीवन की विसंगतियों को उभारने में मोपासाँ और जीवन के विस्तार में घूमकर अनुभवों को बटोरने, उनका सीधा-सादा चित्रण करने में चेखव का प्रभाव उन पर पड़ा है। आरम्भिक कहानियों में मोपासाँ का रंग और बाद की कुछ कहानियों से चेखव की गम्भीर-सार्थक शैली का थोड़ा-बहुत प्रभाव है।
- भूमिका से
Publication | Bharatiya Jnanpith |
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