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Vani Prakashan

नागार्जुन का रचना संसार

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9789350001059
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"एक ऐसे कविता-समय में जहाँ सब सिद्धान्तवादी सृजन में अनुशासित शिल्पियों की तरह जुटे हुए हों, नागार्जुन ने ऐसे अनुशासनों को अँगूठा दिखाते हुए वे नई काव्य मर्यादाएँ रची हैं जिनसे ठस्स होती रचनाशीलता बेदखल हो सकी है। अपने चुनौतीपूर्ण सृजन से वे यह बता सके हैं कि कवि की आधार पहचान सिद्धान्तों का विनिवेशन नहीं, लोकानुभवों का सर्जनात्मक भाषानुवाद करना है। और लोकानुभव कभी भी प्रायोजित नहीं किए जा सकते यह नागार्जुन जैसे कवियों को पढ़ते हुए ही जाना जा सकता है कि कविता सचेत दुनियादारी की कमाई नहीं है वह तो समय और गतिशील सृष्टि की आत्मा की सामूहिक पुकार है । नागार्जुन जैसे कवियों के आलोचकों को यह संस्कार तो विकसित करना ही चाहिए कि कविता का सौन्दर्य-दर्शन उस सैद्धान्तिक चीर-फाड़ में नहीं है जो उसकी सार-सत्ता को तरह-तरह से एक वैज्ञानिक की तरह बिखेर देता है।"
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9789350001059
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विजय बहादुर सिंह (विजय बहादुर सिंह)

"विजय बहादुर सिंह जन्म : 16 फ़रवरी, 1940, जयमलपुर, (फ़ैज़ाबाद) उ.प्र. । आलोचना, कविता, संस्मरण, जीवनी लेखन के अलावा धर्म, राजनीति और संस्कृति के प्रश्नों से जूझने वाले प्रखर विचारक विजय बहादुर सिंह ने कई चर्चित रचनावलियों का सम्पादन भी किया है। छायावाद के कवि, महादेवी के काव्य का नेपथ्य, नागार्जुन का रचना संसार, भवानीप्रसाद मिश्र, कविता और संवेदना, उपन्यास : समय और संवेदना, लेखक की भूमिका आदि इनकी आलोचना पुस्तकें हैं। हाल ही में प्रकाशित अपनी कृति जातीय अस्मिता के प्रश्न और जयशंकर प्रसाद के द्वारा उन्होंने हमारे समय के एक पारदृश्वा आलोचक के रूप में पहचान बनाई है। गद्य में उनकी अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियाँ हैं आलोचक का स्वदेश (जीवनी) तथा वह मणियारा साँप (संस्मरणात्मक आलोचना)। मौसम की चिट्ठी, पृथ्वी का प्रेमगीत, पतझर की बाँसुरी, शब्द जिन्हें भूल गयी भाषा, अर्धसत्य का संगीत तथा लम्बी कविता (भीम बैठका) जैसे चर्चित कविता संग्रहों के साथ शिक्षा और समाजचिन्तन पर भी महत्त्वपूर्ण लेखन। सम्पर्क : 29, निराला नगर, दुष्यन्त कुमार मार्ग, भोपाल-462003

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