Publisher:
Vani Prakashan

नागरिकता का स्त्री-पक्ष

In stock
Only %1 left
SKU
Nagrikta Ka Stri Paksh
Rating:
0%
As low as ₹375.25 Regular Price ₹395.00
Save 5%

ऐतिहासिक रूप से नागरिकता की निर्मिति बहिष्करणों की एक श्रृंखला से हुई, जिसमें लोगों के एक बड़े तबके को नागरिकता के लिए अयोग्य माना गया। विभिन्न ऐतिहासिक दौरों में नागरिक बनने' के रूप में समान सदस्यता का क्रमिक विस्तार हुआ, जिससे नये लोग और समूह नागरिकता के दायरे में सम्मिलित हुए। हालाँकि समानता का वायदा जाति के पदसोपानों, जेण्डर के विभेदों और धार्मिक विभाजनों की बहिष्करणीय रूपरेखा पर एक तरह से परदा डाल देता है। किन्तु हक़ीक़त यह है कि इन्हीं पदसोपानों, विभेदों और विभाजनो के आधार पर नागरिकता का वास्तविक अनुभव सामने आता है। 

ISBN
Nagrikta Ka Stri Paksh
Publisher:
Vani Prakashan
Author: Anupam Roy

More Information

More Information
Publication Vani Prakashan

Reviews

Write Your Own Review
You're reviewing:नागरिकता का स्त्री-पक्ष
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/